सेवा और संस्कृति का प्रमुख केंद्र है जय मां मिशन-स्वामी दयाराम देवाचार्य
हरिद्वार, 15 जून। जय मां मिशन की परमाध्यक्ष साध्वी शरण ज्योति मां एवं साध्वी जीवन ज्योति मां की 40 दिवसीय साधना की पूर्णाहूति पर ब्रह्मपुरी स्थित रामतप स्थली धाम में संत समागम का आयोजन किया गया। संत समागम की अध्यक्षता करते हुए द्वाराचार्य श्रीमद् जगद्गुरू स्वामी योगानन्दाचार्य दयाराम देवाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन चक्रवर्ती महामंडलेश्वर उषा माता महाराज द्वारा स्थापित जय मां मिशन सेवा और संस्कृति का प्रमुख केंद्र है। ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी महादेव महाराज ने अपनी गुरू ब्रह्मलीन उषा माता महाराज के पद चिन्हों पर चलते हुए उनके द्वारा स्थापित सेवा संस्कृति को आगे बढ़ाया। उषा माता महाराज एवं महादेव महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात साध्वी शरण ज्योति एवं साध्वी जीवन ज्योति के संयोजन में जिस प्रकार मिशन की सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। साध्वी शरण ज्योति मां एवं साध्वी जीवन ज्योति मां ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से ही शिष्य का कल्याण होता है। वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन उषा माता महाराज एवं ब्रह्मलीन महादेव महाराज जैसे विद्वान संतों का सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि लोककल्याण के लिए ब्रह्मलीन महादेव महाराज ने सर्वप्रथम 40 दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ किया था और 40 दिन गुफा में रहकर तपस्या की थी। महादेव महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात मिशन की सभी साध्वियां इस परंपरा को अनवरत रूप से आगे बढ़ा रही हैं। संत समागम का संचालन कर स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि वयोवृद्ध अवस्था में भी जिस प्रकार साध्वी शरण ज्योति मां एवं साध्वी जीवन ज्योति मां मिशन की सेवाओं का संचालन करने के साथ मानव कल्याण में योगदान कर रही हैं। उससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, साध्वी प्रकाश ज्योति मां, साध्वी पूजा ज्योति मां, सुभाष बहल, ठाकुर मानसिंह, जगदीश चावला, सुभाष बटला फौजी सहित कई संत महंत व श्रद्धालु मौजूद रहे।
सेवा और संस्कृति का प्रमुख केंद्र है जय मां मिशन-स्वामी दयाराम देवाचार्य
