दधीचि देह दान समिति की रजत जयंती
1997 से स्वस्थ और सबल भारत की ओर अग्रसर
महर्षि दधीचि की जयंती पर स्वस्थ सबल भारत सम्मेलन का आयोजन

देह-अंगदान के लिये राष्ट्रीय अभियान हेतु सभी को आमंत्रण
52 से अधिक राष्ट्रीय संस्थाओं का संगठन
भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में किया सहभाग
ऋषिकेश, 4 सितम्बर। दधीचि देह दान समिति की रजत जयंती के अवसर पर डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में महर्षि दधीचि की जयंती पर स्वस्थ संबल भारत सम्मेलन के अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में सहभाग किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, भारत सरकार डॉ हर्षवर्धन जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार श्री सुशील मोदी जी, संरक्षक दधीचि देहदान समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार जी, अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा जी और महामंत्री कमल खुराना जी उपस्थित थे।
इस अवसर पर ’’सकारात्मकता से संकल्प विजय का’’ आज विमोचन माननीय धनखड़ जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने किया। इस पुस्तक के संकलनकर्ता मंजु प्रभा ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की।
भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड जी ने दधीचि देह दान समिति के पदाधिकारियों को साधुवाद देते हुये सम्पूर्ण मानवता के लिये किये जा रहे कार्यों की सराहना की। उपराष्ट्रपति जी ने अंग दान को एक संवेदनशील मुद्दा बताया और अंग दान के लिए एक समर्थन प्रणाली बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस मिशन में मीडिया और सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका है। हर मीडियाकर्मी को इस शुभ संदेश को फैलाने में अपना योगदान देना चाहिए।
श्री धनखड़ ने आज महर्षि दधिचि जयंती के अवसर पर बधाई देते हुए सभी से आग्रह किया कि अपनी खुशी समाज को वापस देने के लिए महान संत के जीवन और दर्शन का अनुकरण करें।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जीवन दूसरों के लिये जीने का ही नाम है। जिस प्रकार पेड़ अपने फल नहीं खाते और पूज्य संत कभी अपने लिये नहीं जीते, वे सदैव दूसरों के जीते हैं और यह वास्तव में भारत में ही संभव है। महर्षि दधीचि जी ने अपनी अस्थियों को लोकहित में समर्पित कर हम सब को जीवन और प्रेरणा दी और यही वास्तव में भारतीय संस्कृति है।
दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा जी ने कहा कि भारत में लाखों वर्षों से चली आ रही मानवता की परंपरा, जो कि महर्षि दधीचि ने आरंभ की थी, उसी के हम वाहक हैं और पिछले 25 वर्षों में देहदान-अंगदान के विषय में दधीचि देहदान समिति अद्भुत कार्य कर रही हैं। हमारा उद्देश्य है कि अब पूरे भारत में अंगदान-देहदान के काम को राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयात्मक रूप से सभी के सहयोग से किया जायेगा।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने हिमालय की दिव्य भेंट रूद्राक्ष का पौधा माननीय उपराष्ट्रपति भारत और अन्य विशिष्ट अतिथियों को भेंट किया।
दधीचि देह दान समिति की रजत जयंती
1997 से स्वस्थ और सबल भारत की ओर अग्रसर
महर्षि दधीचि की जयंती पर स्वस्थ सबल भारत सम्मेलन का आयोजन
देह-अंगदान के लिये राष्ट्रीय अभियान हेतु सभी को आमंत्रण
52 से अधिक राष्ट्रीय संस्थाओं का संगठन
भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में किया सहभाग
ऋषिकेश, 4 सितम्बर। दधीचि देह दान समिति की रजत जयंती के अवसर पर डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में महर्षि दधीचि की जयंती पर स्वस्थ संबल भारत सम्मेलन के अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में सहभाग किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, भारत सरकार डॉ हर्षवर्धन जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार श्री सुशील मोदी जी, संरक्षक दधीचि देहदान समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार जी, अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा जी और महामंत्री कमल खुराना जी उपस्थित थे।
इस अवसर पर ’’सकारात्मकता से संकल्प विजय का’’ आज विमोचन माननीय धनखड़ जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने किया। इस पुस्तक के संकलनकर्ता मंजु प्रभा ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की।
भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड जी ने दधीचि देह दान समिति के पदाधिकारियों को साधुवाद देते हुये सम्पूर्ण मानवता के लिये किये जा रहे कार्यों की सराहना की। उपराष्ट्रपति जी ने अंग दान को एक संवेदनशील मुद्दा बताया और अंग दान के लिए एक समर्थन प्रणाली बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस मिशन में मीडिया और सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका है। हर मीडियाकर्मी को इस शुभ संदेश को फैलाने में अपना योगदान देना चाहिए।
श्री धनखड़ ने आज महर्षि दधिचि जयंती के अवसर पर बधाई देते हुए सभी से आग्रह किया कि अपनी खुशी समाज को वापस देने के लिए महान संत के जीवन और दर्शन का अनुकरण करें।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जीवन दूसरों के लिये जीने का ही नाम है। जिस प्रकार पेड़ अपने फल नहीं खाते और पूज्य संत कभी अपने लिये नहीं जीते, वे सदैव दूसरों के जीते हैं और यह वास्तव में भारत में ही संभव है। महर्षि दधीचि जी ने अपनी अस्थियों को लोकहित में समर्पित कर हम सब को जीवन और प्रेरणा दी और यही वास्तव में भारतीय संस्कृति है।
दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा जी ने कहा कि भारत में लाखों वर्षों से चली आ रही मानवता की परंपरा, जो कि महर्षि दधीचि ने आरंभ की थी, उसी के हम वाहक हैं और पिछले 25 वर्षों में देहदान-अंगदान के विषय में दधीचि देहदान समिति अद्भुत कार्य कर रही हैं। हमारा उद्देश्य है कि अब पूरे भारत में अंगदान-देहदान के काम को राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयात्मक रूप से सभी के सहयोग से किया जायेगा।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने हिमालय की दिव्य भेंट रूद्राक्ष का पौधा माननीय उपराष्ट्रपति भारत और अन्य विशिष्ट अतिथियों को भेंट किया।