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सौभाग्य से प्राप्त होता है गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा श्रवण का अवसर -स्वामी ऋषि रामकृष्ण

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Jul 2, 2025

सौभाग्य से प्राप्त होता है गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा श्रवण का अवसर -स्वामी ऋषि रामकृष्ण


हरिद्वार, 2 जुलाई। खड़खड़ी स्थित श्री निर्धन निकेतन आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज के संयोजन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ हुआ। कलश यात्रा में कई संत महंत व श्रद्धालु भक्त शामिल हुए। कथाव्यास महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज को व्यासपीठ पर विराजमान कर कथा का शुभारंभ करते हुए स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कहा कि परम् कल्याणकारी श्रीमद्भागवत कथा में सभी समस्याओं का समाधान निहित है। गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर सौभाग्य से प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि कथा के श्रवण से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है और ज्ञान का प्रकाश होता है। जिससे समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त होता है। कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का अथाह भण्डार है। जिसे जितना ग्रहण करो। जिज्ञाना उतनी ही बढ़ती जाती है। कथा के प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। लेकिन कथा श्रवण का लाभ तभी है। जब कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण किया जाए। उन्होंने कहा कि कथा से प्राप्त ज्ञान के अनुसार आचरण करने से जीवन सहज और सरल हो जाता है। भगवत कृपा की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी व स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को श्रीमद्भागवत का आयोजन व श्रवण अवश्य करना चाहिए। यदि आयोजन ना कर सकें तो कथा का श्रवण अवश्य करें। कथा के प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव दूर होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है। कथा के मुख्य यजमान नरेंद्र कपूर परिवार, ट्रस्टी विजय सिंगला, जीवन गोयल, ज्ञानचंद व फकीरचंद ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी राजेंद्रानंद, स्वामी ऋषिश्वरानंद, सांसद सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत मोहन सिंह, महंत दुर्गादास, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी प्रेमानंद, स्वामी शिवानंद भारती सहित कई संत महंत शामिल रहे।

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