पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने आज साध्वी
संजनानंद गिरी को निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर बनाया

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने आज साध्वी
संजनानंद गिरी को निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर बनाया है ,अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशनन्द गिरि महाराज ने साध्वी का विधिविधान के साथ पट्टभिषेक कराया और चादर विधि की और उसके बाद में अन्य अखाड़ों से आये संतों की और से पट्टभिषेक चादर उड़ाई गयी, अखाडा परिसर में हुए महामंडलेश्वर पट्टाभिषेक कार्यक्रम में पूरे विधिविधान के साथ साध्वी को महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया और उनसे अपेक्षा की गई कि वे सनातन धर्म केआ प्रचार प्रसार करके धर्म के उत्थान के लिए कार्य करेंगी, साध्वी संजना नंद गिरी अखाड़े के सचिव, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्रपुरी की शिष्या है और साध्वी कामाख्या असम में रहकर सनातन धर्म के प्रचार प्रसार का कार्य करती है और उनके देश भर में अनेक स्थान पर आश्रम भी है, कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संत समाज उपस्थित रहा है ।

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज का कहना है कि निरंजनी अखाड़ा देश का अखाड़ों की परंपरा में सबसे बड़ा खड़ा है और सबसे प्राचीन अखाड़ा है सबसे बड़ा अखाड़ा है इस अखाड़े का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण लगता है और बहुत ही महत्वपूर्ण होता है आज एक श्रेष्ठ साध्वी को सन्यासिनी को पूज्य रविंद्र पुरी महाराज के नेतृत्व में और हमारी अध्यक्षता में उनको महामंडलेश्वर बनाया गया है हम सभी की कामनाएं है कि अखाड़े में श्रेष्ठ लोग आएं और अखाड़े की परंपरा को लेकर के आगे बढ़े, मैंने उनसे आग्रह भी किया है आज उनका पट्टाभिषेक भी हुआ है मुझे विश्वास है कि वह हमारी परंपरा को लेकर आगे बढ़ेगी और सन्यास धर्म को निभाएंगी।
निरंजनी अखाड़े के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज का कहना है की साध्वी आसाम में रहती हैं आसाम में उनका आश्रम है दिल्ली में उनका आश्रम है वृंदावन में उनका आश्रम है और मध्य प्रदेश में उनका आश्रम है उन्होंने बहुत पहले हमें कहा था कि मुझे भी निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनना है इससे लगभग एक महीना पूर्व इनसे मेरी वार्ता हुई थी और हमने यह कहा था कि हम आपको 25 अगस्त को निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर बनाएंगे और आज इनको हमने निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया है ताकि जो हमारी सनातन परंपरा है जो हमारी परंपराएं लुप्त हो रही हैं उस को आगे बढ़ाया जाए मातृशक्ति को आगे लाया जाए इसीलिए हमने माता जी को आज निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया है, अभी इस कार्यक्रम में सभी अखाड़े नहीं आए हैं अभी हमारा अखाडा परिषद
दो हिस्सों में बटा हुआ है जो हमारे साथ के अखाड़े हैं वह सभी अखाड़े आए थे और सभी ने चादर विधि की है और हमारे जो दूसरे अखाड़े के साथी हैं रवींद्र पुरी जी महाराज उन्होंने भी चादर भेजी है तकरीबन सभी सभी संत महात्मा आए हैं इसमें एक और दिक्कत हमें आई है कि कार्यक्रम बहुत छोटा हुआ था बहुत जल्दी में किया था कार्यक्रम छोटा सा किया था जल्दबाजी में कार्यक्रम किया गया है, जो महामंडलेश्वर होता है महामंडलेश्वर का अर्थ यह होता है कि उसको ज्ञान होना चाहिए सबसे पहली जो बात है महामंडलेश्वर को पढ़ा लिखा ज्ञानी होना अति आवश्यक है संत कोई भी बन सकता है परंतु महाबलेश्वर पढ़ा लिखा ही बन सकता है अखाड़ों में महंत कोई भी हो सकता है संत कोई भी हो सकता है परंतु महामंडलेश्वर को जो अपनी सनातन परंपरा के ज्ञान की जानकारी होना आवश्यक है और जितने भी हमारे ज्ञानी हैं जिनको सनातन का ज्ञान है वह जिनके पास आश्रम है मठ है जो प्रभु की सेवा कर सके समाज की सेवा कर सके भूखे की सेवा कर सके उन्हीं को महामंडलेश्वर बनाया जाता है।
नवनियुक्त महामंडलेश्वर साध्वी संजना नंद गिरी का कहना है कि जो उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है यह कितनी बड़ी जिम्मेदारी है यह तो वक्त ही बताएगा और जो भी कार्य दिया है मेरे गुरु जी ने और महापुरुषों ने उन सभी को पूरा करने की कोशिश करूंगी और बाकी जो कार्य हो रहे हैं वह आपके सामने आएंगे तब बोलने का फायदा रहेगा, धर्म के प्रचार प्रसार के लिए सनातन धर्म के आगे ले जाने के लिए, गौशाला हैं और गौ के सम्मान के लिए बहुत सारे कार्य हैं मैं बताने की स्थिति में नहीं हूं वह सब आपके सामने आएंगे, आसाम में संतो को महिलाओं को बहुत सम्मान मान सम्मान मिलता है आप आइए गुवाहाटी, मां कामाख्या के दर्शन भी करना और आपको पता लगेगा कि वहां पर हिंदुओं का सम्मान कैसे होता है नारी शक्ति का सम्मान कैसे होता है।