बाबा शिव ने की शुरूआत
ज्ञानवापी से खुलेगे अनेकों रहस्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे से जुड़ी रिपोर्ट और माननीय वाराणसी कोर्ट, स्पेशल असिस्टेंट कमिश्नर, स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर, सिविल जज सीनियर डिविजन सभी के आभार व्यक्त करते हुये कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट और भारत के संविधान पर सभी का पूर्ण विश्वास है क्योंकि संविधान ही समाधान है। मुझे विश्वास है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का कल जो भी निर्णय होगा वह सभी के हित में होगा देश के हित में होगा।
इतिहासकारों के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण सन् 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर करवाया था और साकिब खाँ की पुस्तक ‘यासिर आलमगीरी’ में इस बात का उल्लेख भी है कि औरंगजेब ने 1669 में गवर्नर अबुल हसन को हुक्म देकर मंदिर को तुड़वा दिया था।
ज्ञानवापी मस्जिद का मामला 1991 से अदालत में है, जब काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज ने वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक मुकदमा दायर कर दावा किया था कि औरंगजेब ने भगवान विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर उस पर मस्जिद बना दी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मन्दिर था तो क्यों नहीं भव्य मंदिर ही होना चाहिये। कुतर्कों और बहस का कोई मतलब नहीं, सबको पता हैं मन्दिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई! किसी ने कहा सर्वे भवन्तु सुखिनः का अर्थ अब समझ में आया है अर्थात सर्वे कराने के बाद ही सुख मिलता है, ये मंत्र भी अपने को नये ढंग से उद्घाटित कर रहे है और यह स्पष्ट भी हो गया है। स्वामी जी ने कहा कि पर्दे धीर-धीरे हट रहे हैं, परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं, मेरी इच्छा है कि अब लोगों के दिमागों के पर्दे भी खुलें। सोच बदलंे तो बहुत कुछ बदल सकता है, मुस्लिम भाईयों को थोड़ा सद्भाव, समझदारी, और संवेदनशीलता से काम लेना होगा फिर साथ-साथ रहने में मजा भी आयेगा, सुकून कायम होगा, अमन कायम होगा, हरियाली भी बढ़ेगी, खुशहाली भी होगी परन्तु इसके लिये केवल हमें सोच बदलना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि जो सच है उसे सामने आने दें, सच से डरना क्या? हमारी भारतीय संस्कृति सत्यमेव जयते की संस्कृति है। ज्ञानवापी से अनेक राज खुलेगे; अब तो लगता है अपने इतिहास में एक नहीं बल्कि अनेकों राज दफन हैं, उन सब पर्दों को हटने दें, भयभीत न हो। मुझे विश्वास है इसके पश्चात हम सब ज्यादा अमन से रहेंगे। हम सभी को यह प्रयास करना होगा कि हम सभी मिलकर रहें इन सब विवादों का समाधान निकालें, क्योंकि संवाद ही समाधान है; सत्यता ही समाधान है।
स्वामी जी ने कहा कि अगर ज्ञानवापी मस्जिद में नंदी हैं, गौरी श्रृंगार मंदिर (पार्वती) हैं तो फिर यह भी तो सोचने का विषय है कि फिर भगवान शिव कहां हैं? हम सब जानते है कि एक तरफ पूरे भारत में करोडो श्रद्धालु शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाते हैं और इधर ज्ञानवापी में छिपा कर रखे गये शिवलिंग के उपर वजू करना यह कहां तक उचित है। हाथ धोना, कुल्ला करना इस तरह की सोच को हमें बदलना चाहिये।
भारत विविधता में एकता, सद्भाव और साम्प्रदायिक एकता का राष्ट्र है ऐसे में दूसरे धर्म के लोगों की आस्था पर चोट करना, घृणा करना, नफरत करना यह न हमारे संविधान में है और न ही हमारी संस्कृति में है। हमें यह बात समझ लेनी चाहिये कि नफ़रत से कभी किसी का नफ़ा नहीं होता और घृणा करने से घृणा बढ़ती है। इसलिये सच को आगे आने दें बल्कि आप खुद आगे आयें , और समाधान निकालें तथा कल आने वाले माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करें।