भगवान का अर्थ है समर्थवान-सूर्यकांत बलूनी
हरिद्वार, 4 अगस्त। जिला जेल रोशनाबाद में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के सातवें दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास सूर्यकांत बलूनी ने कहा कि भगवान का अर्थ है समर्थवान, जो अशक्त को शक्त कर दे। एक मूर्ति जीव शरीर है तो दूसरी मूर्ति मंदिर में है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक दूसरे के लिए हैं। जिसके कारण ये निभता है वो भगवान, जिस प्रक्रिया से निभता है तो भक्ति, जिसके द्वारा निभता है वो भक्त, जिसके लिए निभता है वो धर्म। कथाव्यास ने कहा कि उपमन्यु इतना निर्धन था कि मां से दूध मांगा तो, मां ने चावल पीसकर दिये। जब निर्धनता हटाने की जिज्ञासा हुई तो मां ने शिवाराधना राय दी। तब बालक उपमन्यु ने गुरु निर्देशित विधि से आराधना की तो क्षीरसागर के स्वामी व श्रीकृष्ण के गुरु बने। पांडव असहाय स्थिति में वनवास में थे कि व्यासजी ने शिवाराधना की आज्ञा दी तो अर्जुन नें पाशुपतास्त्र प्राप्त किया। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, ब्राह्मण जाग्रति संस्था के सचिव सुशील त्रिपाठी व पूर्व सचिव संजय शर्मा ने कहा कि समाज में सभी संगठनों को मिलकर धर्म के कार्य में एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए। सनातन धर्म के लिए राष्ट्र के लिए सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए। समाज में एक नई ऊर्जा के लिए काम करना चाहिए। संस्था के सदस्य तरुण शुक्ला, विजय कुमार चौबे, मुकेश शर्मा ,संदीप शुक्ला, हरि नारायण त्रिपाठी, कपिल शर्मा, यतींद्र शर्मा, अंकित शर्मा, अरविंद शर्मा, रमेश पाठक, भुवनेश शर्मा, रितेश शर्मा उपस्थित रहे। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के विद्यार्थियों ने रुद्राभिषेक नवग्रह पूजन किया। जलज कौशिक, विष्णु गोड़, सत्यम शर्मा, शोभित अग्रवाल, राजकुमार, अनिल तिवारी, हिमांशु छलिया, सपना आदि मौजूद रहे।