गुरूमण्डल आश्रम से निकाली गयी 46वीं श्री भव्य श्री जगन्नाथ विशाल रथ यात्रा
रथ यात्रा में शामिल होने और भगवान का रथ खींचने से होता है जन्म जन्मांतर के पापों का शमन-स्वामी भगवत स्वरूप
हरिद्वार, 7 जुलाई। देवपुरा स्थित श्री गुरू मण्डल आश्रम के 46वें श्री जगन्नाथ विशाल रथयात्रा महोत्सव के अंतर्गत रविवार को भगवान जगन्नाथ की विशाल रथयात्रा निकाली गयी। श्री गुरू मण्डल आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज के संयोजन में निकाली गयी बैण्ड बाजों और सुन्दर झांकियों से सुसज्जित रथयात्रा नगर भ्रमण के पश्चात वापस आश्रम पर आकर संपन्न हुई। नगर भ्रमण के दौरान जगह-जगह श्रद्धालुजनों ने पुष्पवर्षा का रथ यात्रा का स्वागत किया। रथ यात्रा में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष सम्मिलित हुए। यात्रा के शुभारंभ पर श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि भगवान जगन्नाथ भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का ही स्वरूप हैं। करूणामय भगवान श्री जगन्नाथ मानव कल्याण के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं। भगवान की रथ यात्रा में शामिल होने और रथ को खींचने से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन हो जाता है। भगवान जगन्नाथ की कृपा से परिवार के सभी संकट मिट जाते हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि समाज में धर्म जागरण करने में संत महापुरूषों की हमेशा ही अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि स्वामी भगवत स्वरूप महाराज के संयोजन में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के माध्यम से श्रद्धालु जनों को भगवान कृष्ण केे स्वरूप भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है। स्वामी शिवस्वरूप महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। संत महापुरूषों के सानिध्य में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ यात्रा मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगी। इस अवसर पर स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी हरिचेतनानंद, महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, स्वामी शिवानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, महंत कैलाश मुनि, महंत राघवेंद्र दास, महंत गोविंददास, महंत शुभम गिरी, महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, स्वामी दिनेश दास, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी हरिहरानंद, महंत बिहारी शरण, स्वामी शिवस्वरूप, स्वामी अंकित शरण, महंत जयराम दास, महंत प्रेमदास, महंत राजेंद्र दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत मुरली दास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष एवं श्रद्धालुजन मौजूद रहे।