बिल्डर लॉबी को लाभ पहुंचाने में न्याय के नैर्संगिक सिद्धांत और कानून तक को भूल गया आगरा जिला प्रशासन-ज्योति एस
-बिल्डर लॉबी के दबाव में गलतियों पर गलतियां करता गया और अब उन गलतियों को छुपाने को कर रहा कानून का बेजा इस्तेमाल
ज्योति एस, आगरा। उच्च कोटि की अति पावन धार्मिक संस्था राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग, आगरा को निशाना बनाकर बिल्डर लाबी के दबाव में इन दिनों काम कर रहा आगरा जिला प्रशासन न्याय के नैर्संगिक सिद्धांत और कानून तक को भूल गया है। बिल्डर लॉबी से मिलीभगत में पहले तो उसने गलतियों पर गलतियां की और अब उन गलतियों को छुपाने के लिए कानून का बेजा इस्तेमाल करने में लगा हुआ है। खास बात यह है कि चौथा स्तंभ माना जाने वाला मीडिया भी सच का साथ छोड़कर उसकी हां में हां मिलाने में लगा हुआ है। जबकि सभी यह अच्छे से जानते हैं कि जो वह कह रहे हैं अथवा कर रहे हैं, वह न सिर्फ गलत है बल्कि झूठ के अलावा और कुछ भी नहीं है। न्यायालय में उनका यह झूठ दो मिनट भी ठहर नहीं पाएगा।
राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग, आगरा की गतिविधियों को लेकर विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों पर इधर के दिनों में आगरा प्रशासन के हवाले से जो कुछ कहा अथवा सुना गया, वह सिवाए झूठ के पुलिंदे के अलावा कुछ भी नहीं है। आरोप है कि बिल्डर लॉबी को तथाकथित रूप से लाभ पहुंचाने की नीयत से आगरा जिला प्रशासन पूर्व के वर्षों में की गई अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए इस झूठ को समाचार पत्रों के स्वार्थी तत्वों के साथ मिलकर इस तरह परोस रहा है कि मानों वह सच हो, जबकि वह स्वयं जानता है कि यह सब हकीकत से परे है और अदालत में उसका कोई वजूद नहीं।
–राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग, आगरा का सच तो यह है:-
- नहर संबंधित विवाद
सन 1935 में राधास्वामी सतसंग सभा द्वारा, तत्कालीन ब्रितानी सरकार के साथ हुए करार के अंतर्गत, यमुना नदी से व्यक्तिगत नहर का निर्माण, राधास्वामी सतसंग सभा की जमीन पर हुआ और करार के अनुसार 5 एमएलडी पानी तक यमुना से पानी लेने की अनुमति प्राप्त हुई। नहर के बाजू में, नहर की मरम्मत एवं अन्य कार्य हेतु एक नहर की पटिया (रास्ते) का निर्माण भी सतसंग की जमीन पर हुआ। आज, खतौनी में, पटिया की जमीन राधास्वामी सतसंग सभा की संक्रमणीय भूमिधरी में दर्ज है परंतु नहर 6-2 में दर्ज है, जिसकी वजह से सरकार उसे सरकारी बताती है। जबकि यह कमी उसके राजस्व रिकॉर्ड की है।
वर्तमान में इस संदर्भ में तीन मुकदमें निचली अदालतों एवं उच्च न्यायालय में लंबित हैं, जिनमे सभा के पक्ष में आदेश हुए है। यह वाद आराजी 205 और 330 के संदर्भ में है। - बैकुंठ धाम
बैकुंठ धाम की जमीन राधास्वामी सतसंग सभा को चारगाह हेतु ‘सायर’ के रूप में दी गई है, जिसका सभा किराया अदा करती है। इस पट्टे में, चरागाह और संबंधित भवन निर्माण की आज्ञा दी गई थी। यह जमीन डूब क्षेत्र में घोषित होने का कोई भी प्रमाण नहीं है। स्थानीय प्रशासन द्वारा दिए गए नोटिस के विरुद्ध सभा ने NGT एवं उच्च न्यायालय में वाद योजित किया था, जिसपर सिंचाई विभाग को सभा के प्रत्यावेदन को निस्तारित करने और तब तक यथा व्यवस्ता बनाए रखने का आदेश हुआ। - न्याय विरुद्ध कार्यवाही
सभा प्रेसिडेंट, VP-1 एवं VP-2 के उपर धारा 447 एवं 3/5 प्रिवेंशन ऑफ डैमेज ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी अधिनियम के अंतर्गत दाखिल FIR, 14 आराजी हेतु दायर FIR के विरुद्ध उच्च न्यायालय में वाद दायर किया जा रहा है। धारा 441 के उत्तर प्रदेश संशोधन के अनुसार बिना नोटिस के उपरोक्त धारा में कार्यवाही न्याय विरुद्ध है। राधास्वामी सतसंग सभा दयालबाग आगरा पर, अवैध रूप से सरकारी जमीन पर दीवाल एवं गेट लगाने का आरोप है परंतु 14 में से 6 जमीन सभा के नाम पर है, 1 पर उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश है, तथा कुछ जमीन नगर पंचायत दयालबाग के नाम पर है जिसको उन्होंने सभा या DEI को पट्टे पर दे रखा है। तीन जमीन रास्ते में दर्ज है, जो की राजस्व रिकॉर्ड की त्रुटि है जबकि यह रास्ते सभा की जमीन के लिए एक निजी रास्ता है ना कि सार्वजनिक रास्ता। - भू – माफिया कार्यवाही—
सभा द्वारा, अनेक वर्षों से, समाज के कल्याण की कार्यवाही की जा रही है, जिसमे यमुना सफाई, STP plant के लिए बाजार मूल्य से कम पर जमीन प्रदान करना, अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना आदि शामिल है। दयालबाग, आगरा के सबसे बड़ा हरित भू -भाग है, परंतु स्थानीय बिल्डर एवं भ्रष्ट राजनेता और अधिकारीगण द्वारा, इस इलाके में अवैध रूप से निर्माण तथा उसके लिए दयालबाग की जमीन को कब्जा करने की कार्यवाही कई वर्षो से चल रहीं है, जिसके विरुद्ध दयालबाग ने समय समय पर न्यायसंगत और विधिपूर्वक कार्यवाही की है।
राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग, आगरा ने आज तक कोई भी ऐसा कृत्य ना तो किया है और ना ही कर रही है, जिससे समाज को कोई नुकसान पहुंचे, धर्म को कोई नुकसान पहुंचे। बावजूद इसके अपनी स्वार्थ सिद्धि को बिल्डर लाॅबी के दबाव में प्रशासन और मीडिया के लोग अति पवित्र धार्मिक-सामाजिक संस्था राधास्वामी सतसंग सभा दयालबाग आगरा की छवि बिगड़ने के षड्यंत्र के तहत उसे भू माफिया साबित करने की बेजा कोशिशें में लगे हुए हैं। वह अपनी कोशिशें में कभी कामयाब नहीं होंगे, क्योंकि सच वह नहीं है जो वह परोस रहे हैं। सच क्या है, यह हम आपको बताते हैं।
जिला प्रशासन ने वर्षों से अपने राजस्व रिकॉर्ड में सुधारीकरण नहीं किया, यहां तक कि आगरा में चकबंदी समाप्त होने के बाद भी राधास्वामी सतसंग सभा की संपत्ति और भूमि को लेकर राजस्व रिकॉर्ड में नई स्थितियां दर्ज ही नहीं की गईं। आप है कि यह सब भी दबंग बिल्डर लॉबी के दबाव में उसको लाभ पहुंचाने की नीयत से किया गया।
वर्तमान प्रकरण में जब झूठी शिकायत दर्ज की गई तो बिना अपने राजस्व रिकॉर्ड को दुरुस्त किए, बिना देखे और बिना उसका अध्ययन किए ही आगरा जिला प्रशासन ने राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग, आगरा के खिलाफ अपने निजी निहित स्वार्थों के चलते तत्काल ही मोर्चा खोल दिया, जबकि सभा की ओर से उन्हें समय-समय पर सच्चाई से अवगत कराया जाता रहा, बताया जाता रहा कि उसने कहीं कुछ भी गलत नहीं किया है और जिला प्रशासन जाने-अनजाने गलत कर रहा है, गलत राह पर चल रहा है। पर, बिना इसे संज्ञान लिए, बिना जाने-समझे इस तरह की स्थितियां उत्पन्न कर दी कि जैसे राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग, आगरा धार्मिक संस्था न होकर भूमि कब्जाऊ संस्था है। हकीकत इसके ठीक उलट है। जिन जमीनों को लेकर तथाकथित ग्रामीणों को आगे कर बिल्डर लाॅबी के सहयोग से आगरा जिला प्रशासन और आगरा मीडिया के कुछ स्वार्थी तत्वों ने मामले की झूठी शिकायत दर्ज कराकर प्रशासनिक कार्रवाई के झूठ का जो आडंबर खड़ा किया, वह प्रशासनिक रिकॉर्ड की सच्चाई के सामने ताश के पत्तों के महल की तरह ढह गया। सामने आया कि कमी तो राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट ना करने की है, प्रशासन की अनदेखी की है। प्रशासनिक रिकॉर्ड में सही तरीके से सूचनाओं दर्ज न करने का लाभ उठा की यह भ्रम खड़ा किया गया था। इसे प्रशासन के ही लोगों ने जानते-बूझते अपनी स्वार्थ सिद्धि को आपसी मिलीभगत से खड़ा किया। और अब पोल खुलने के डर से, की जा चुकी गलती को छुपाने के लिए कानून के बेजा इस्तेमाल का सहारा लिया जा रहा है, कोशिश हो रही है कि झूठ पर झूठ इस तरह गढ़ा जाए कि भोलीभाली जनता इसे सच मानने लगे। पर, ऐसा होगा नहीं, क्योंकि सत्य तो अटल और अविनाशी है। झूठ के आवरण में सत्य को कभी छुपाया नहीं जा सकता, उसे एक दिन बाहर आना ही होता है। और जब वह बाहर आता है तो झूठ के इन पहरेदारों और अलमदारों के चेहरों का नकाब उतार कर फेंक देता है। फिर वह चाहे प्रशासनिक अधिकारी हों, मीडिया के कर्मचारी हों या फिर ग्रामीणों की आड़ में अपनी स्वार्थ सिद्धि का खेल खेलने वाले भू माफिया-बिल्डर लाॅबी हो। सत्य के आगे सभी बेनकाब होंगे, क्योंकि झूठ अपनी पारी खेल चुका। अब सत्य के सामने आने का समय आ गया है।
जल्दी यह सच्चाई न्यायालय के द्वारा सबको पता चल जाएगी, उसके बाद राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग, आगरा के खिलाफ अनर्गल आरोप लेकर बड़े-बड़े मुंह खोलने वाले लोगों का क्या हश्र होगा, वह अपना मुंह छुपाने कहां जाएंगे, छुपा भी पाएंगे या नहीं, यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
तब तक कीजिए थोड़ा इंतजार