स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने स्वामी श्री राजेन्द्रदास जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर किया अभिनन्दन
मलूकपीठाधीश्वर श्री राजेन्द्रदास जी परमार्थ निकेतन पधारे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट की। दोनों पूज्य संतों के मध्य गौ संरक्षण, नदियों की स्वच्छता और निर्मलता, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के वैश्विक विस्तार और भारतीय संस्कृति और संस्कारों के संरक्षण के विषय में विस्तृत चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व के लिये ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की दिव्य कामना करने वाली भारतीय संस्कृति अद्भुत शक्ति और पूर्ण विश्वास के साथ वसुधैव कुटुम्बकम् के सूत्र को आत्मसात कर शान्ति के साथ जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देती है। मानव जीवन के अस्तित्व के साथ ही भारतीय संस्कृति ने सम्पूर्ण मानवता को जीवन के अनेक श्रेष्ठ सूत्र दिये और आज भी निरंतर उन सूत्रों और मूल्यों की ओर अग्रसर है, जिन्हें आत्मसात कर न केवल जीवन व्यवस्थित होता है बल्कि ‘आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।
भारतीय संस्कृति मानव को अपने मूल से; मूल्यों से, प्राचीन गौरवशाली सूत्रों, सिद्धान्तों एवं परंपराओं से जोड़ने के साथ ही अपने आप में निरंतर नवीनता का समावेश भी करती है। जिस प्रकार अलग-अलग नदियां जिनके नाम अलग होते हंै, उनके जल का स्वाद भिन्न होता है परन्तु जब वह समुद्र में जाकर मिलती है तो उन सब का एक नाम हो जाता है और उस जल का स्वाद भी एक ही रह जाता है। इसी तरह से भारतीय संस्कृति भी है जिसमें विभिन्न संस्कृतियों का संगम होकर एकता की संस्कृति का जन्म होता है।
स्वामी जी ने कहा कि हमारे पूर्वजों और हमारे ऋषियों ने अपने आध्यात्मिक अनुसंधानों के आधार पर आयुर्वेद, योग, यज्ञ, ध्यान आदि अनेक दिव्य परम्पराओं का निर्माण किया। ऋषियों ने कई वर्षों तक एकांतवास मंे रहकर अपने जीवन के अनुभव, प्रामाणिकता और अनुसंधान के आधार पर जीवन मूल्यों का निर्माण किया इसलिये भारतीय संस्कृति से जुड़ कर युवा पीढ़ी अपनी जड़ों को और मजबूत कर सकती है।
भारतीय संस्कृति समर्पण की संस्कृति है; स्वयं को तलाशने तथा तराशने की संस्कृति है।
स्वामी जी ने कहा कि गौ माता को हिंदू धर्म में दिव्यता से युक्त और पवित्र माना गया है। धार्मिक, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से मानव जीवन के लिये गौ माता एक वरदान है। वह ममत्व से युक्त अत्यंत संवेदनाशील प्राणी है जिसका भारत की श्वेत क्रांति और ग्रामीण समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान है। स्वास्थ्य के लिये गौ उत्पादों से बना पंचगव्य एक रामबाण औषधि है जो गौ माता के पाँच उत्पादों दूध, दही, घी, गोबर और मूत्र के मिश्रण से निर्मित किया जाता है, वैज्ञानिक दृष्टि और आयुर्वेद के अनुसार इससे कई रोगों का उपचार किया जा सकता है।
आईये मिलकर गायों का संरक्षण और विकास करें।