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संविधान को और भी व्यापक रूप में प्रस्तुत करेगी ‘भारतीय संविधान: अनकही कहानी’: प्रधानमंत्री मोदव्यक्ति नहीं एक संस्थान हैं रामबहादुर राय: धर्मेंद्र प्रधानई पीढ़ियों को एक दृष्टि देगी यह पुस्तक: मनोज सिन्हा

Bystaruknews

Jun 19, 2022

संविधान को और भी व्यापक रूप में प्रस्तुत करेगी ‘भारतीय संविधान: अनकही कहानी’: प्रधानमंत्री मोदव्यक्ति नहीं एक संस्थान हैं रामबहादुर राय: धर्मेंद्र प्रधानई पीढ़ियों को एक दृष्टि देगी यह पुस्तक: मनोज सिन्हा

नई दिल्ली, । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘भारतीय संविधान: अनकही कहानी’ पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि ‘अमृत-महोत्सव’ के तहत अनेकों कार्यक्रम हो रहे हैं। ‘भारतीय संविधान- अनकही कहानी’ किताब देश के इसी अभियान को एक नई ताकत देने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि आजादी के इतिहास के साथ-साथ हमारे संविधान के अनकहे अध्याय देश के युवाओं को एक नई सोच देंगे, उनके विमर्श को व्यापक बनाएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को राजधानी स्थित डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुये अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज के दिन 18 जून को मूल संविधान के पहले संशोधन पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने हस्ताक्षर किए थे। यानी आज का दिन हमारे संविधान की लोकतांत्रिक गतिशीलता का पहला दिन है।

आगे उन्होंने कहा कि ‘इसी दिन आज हम संविधान को एक विशेष दृष्टि से देखने वाली इस किताब का लोकार्पण कर रहे हैं। यह हमारे संविधान की सबसे बड़ी ताकत है, जो हमें विचारों की विविधता के साथ-साथ तथ्य, सत्य के अन्वेषण की निरंतर प्रेरणा देती है।

‘भारतीय संविधान’ के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘साथियों, हमारा संविधान आजाद भारत की ऐसी परिकल्पना के रूप में सामने आया, जो देश की कई पीढ़ियों के सपनों को साकार कर सके।’

आगे उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत-महोत्सव में देश आज स्वतंत्रता आंदोलन के अनकहे अध्यायों को सामने लाने के लिए सामूहिक प्रयास कर रहा है। जो सेनानी अपना सर्वस्व अर्पण करने के बाद भी विस्मृत रह गए, जो घटनाएं आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा देने के बाद भी भुला दी गईं और जो विचार आजादी की लड़ाई को ऊर्जा देते रहे, फिर भी आजादी के बाद हमारे संकल्पों से दूर हो गए। देश आज उन्हें फिर से एक सूत्र में पिरो रहा है, ताकि भविष्य के भारत में अतीत की चेतना और मजबूत हो सके। इसलिए आज देश के युवा ‘अनकहे इतिहास’ पर शोध कर रहे हैं। किताबें लिख रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने पुस्तक के लेखक रामबहादुर राय के संबंध में कहा कि हमारे यहां सामान्य जनमानस को प्रेरणा देने के लिए ऋषियों ने मंत्र दिया था- ‘चरैवेति चरैवेति चरैवेति।’ एक पत्रकार के लिए तो यह मंत्र नए विचारों की खोज और समाज के सामने कुछ नया लाने की लगन ही उनकी सहज साधना होती है। मुझे खुशी है कि रामबहादुर राय जी अपनी लंबी जीवन यात्रा में इस साधना में लगे रहे हैं। आज उसकी एक और सिद्धि हम सबके सामने है। मैं आशा करता हूं कि ‘भारतीय संविधान: अनकही कहानी’ आपकी यह पुस्तक अपने शीर्षक को चरितार्थ करेगी और देश के सामने संविधान को और भी व्यापक रूप में प्रस्तुत करेगी।
उन्होंने कहा कि ‘मैं इस अभिनव प्रयास के लिए रामबहादुर राय जी को और इसके प्रकाशन से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अधिकार और कर्तव्यों का तालमेल ही हमारे संविधान को खास बनाता है। हमारे अधिकार हैं, तो कर्तव्य भी हैं। कर्तव्य हैं तो अधिकार भी उतने ही मजबूत होंगे। इसलिए आजादी के अमृत-काल में आज देश कर्तव्य-बोध की बात कर रहा है। कर्तव्यों पर जोर दे रहा है।

उन्होंने कहा कि “बोध ही हमारा प्रबोध करता है। इसलिए एक राष्ट्र के रूप में संविधान के सामर्थ्य का उतना ही विस्तृत उपयोग कर पाएंगे, जितना हम अपने संविधान को गहराई से जानेंगे। हमारे संविधान की अवधारणा को किस तरह महात्मा गांधी ने एक नेतृत्व दिया। साथ ही सरदार पटेल ने धर्म के आधार पर पृथक निर्वाचन प्रणाली को खत्म कर भारतीय संविधान को सांप्रदायिकता से मुक्त कराया। डॉक्टर आंबेडकर ने संविधान की उद्देशिका में बंधुता का समावेश कर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को आकार दिया। और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे विद्वानों ने संविधान को भारत की आत्मा से जोड़ने का प्रयास किया।”

पुस्तक के बाबत उन्होंने कहा कि “यह किताब ऐसे अनकहे अनेक पहलुओं से हमें परिचित कराती है। यह सभी पहलू हमें इस बात के लिए दिशा भी देंगे, कि हमारे भविष्य की दिशा क्या होनी चाहिए।”

प्रधानमंत्री के उद्बोधन से पहले अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि “रामबहादुर राय जी अनेक विचारधारा के त्रिवेणी संगम हैं। उन्हें दधीचि कहना गलत न होगा। उन्हें जो नजदीक से जानता है, वह उनके तेजस्वी व्यक्तित्व को समझता है। संविधान पर लिखी रामबहादुर राय जी की किताब देश के युवाओं के लिए है। संविधान जैसे विषय को देश के युवाओं के लिए रोचक ढंग से सामने लाने के लिए भारत सरकार और शिक्षा विभाग की तरफ से आभार।”

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित हुये जम्मू एवं कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि नई पीढ़ियों को यह पुस्तक एक दृष्टि देगी। राय साहब ने संविधान के उन पहलुओं को छुआ है जिस पर लिखना सब के बस की बात नहीं है। हमारा संविधान वह आईना है, जो हमें भटकने से रोकता है। लंबे समय से उपेक्षित जम्मू के लोगों को आज वो सम्मान मिला, जिसके वे हकदार थे। यही हमारे संविधान की खूबसूरती है। राय साहब ने जो किताब लिखी है, वह चेतना का उत्तुंग शिखर है।

वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में आये राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि संविधान जैसे कठिन विषय को इतने प्रभावपूर्ण और भावपूर्ण तरीके से लिखना असाधारण काम है, जिसे रामबहादुर जी ने पूरा किया है। यह किताब हमें रोचक इतिहास से अवगत कराती है। इसका हर पन्ना नये-नये तथ्यों की जानकारी देता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ संपादक अच्युतानंद मिश्र ने भी एक बेहतर पुस्तक के लिये रामबहादुर राय जी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक उनकी पिछले 40 वर्षों की साधना है।

कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। उसके बाद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया। जबकि एकात्म मानवदर्शन प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने लोगों का पुस्तक से परिचय कराया। वहीं पुस्तक के लेखक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष श्री
रामबहादुर राय ने उम्मीद व्यक्त की कि यह पुस्तक संविधान पर आई तमाम पुस्तकों के बीच अपनी जगह बनाने में सफल होगी। उन्होंने पाठकों से आग्रह किया कि वे पुस्तक की आलोचनात्मक समीक्षा करें।

उल्लेखनीय है कि यह पुस्तक भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता व संविधान विशेषज्ञ अरुण जेटली को समर्पित है। पुस्तक लोकार्पण का यह कार्यक्रम एस.जी.टी. विश्वविद्यालय, भारतीय शिक्षण मंडल, एकात्म मानवदर्शन प्रतिष्ठान एवं प्रभात प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था। यह पुस्तक प्रभात प्रकाशन से आई है। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार बनवारी,डॉ जितेंद्र बजाज, गांधीवादी विचारक राजीव बोरा, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के राजनीतिक सलाहकार एचएन शर्मा, उत्तराखंड से वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडेय, समाजवादी विचारक लोहिया वादी राजनाथ शर्मा समेत कई शिक्षाविद्, संविधान विशेषज्ञ एवं सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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