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गंगा दशहरा की शुभकामनायेंपतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण जी पधारे परमार्थ निकेतन

Bystaruknews

Jun 9, 2022

गंगा दशहरा की शुभकामनायेंपतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण जी पधारे परमार्थ निकेतन

 आजाद़ी के 75 वें अमृत महोत्सव के अवसर पर परमार्थ निकेेतन गंगा तट पर पर्यावरण और नदियों को समर्पित मानस कथा के दिव्य मंच से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति राज्य मंत्री, भारत सरकार श्री प्रह्लाद सिंह जी पटेल, श्रीमती पटेल, साध्वी भगवती सरस्वती जी, सिस्टर बिन्नी सरीन जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर सभी को गंगा दशहरा की शुभकामनायें अर्पित की।

सेवा महोत्सव के सातवे दिन गंगा दशहरा व साध्वी भगवती सरस्वती जी के आध्यात्मिक जन्मोत्सव के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, माननीय श्री प्रह्लाद सिंह जी पटेल, मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर जी और श्रीमती मीना रमावत जी ने अंगवस्त्र एवं पुष्पवर्षा कर अभिनन्दन किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि विकारों से मुक्ति से मिले बस यही भजन है। अपनी बैंलेस शीट को प्रभु चरणों में समर्पित कर समाज की सेवा में स्वयं को समर्पित करें यही जीवन का उद्देश्य है।

आज गंगा दशहरा के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा शरीर को ही नहीं बल्कि आत्मा को भिगोती है। गंगा में केवल एक डुबकी या एक घूट आचमन ही नहीं बल्कि यह तो आत्ममंथन की डुबकी होती है इसलिये गंगा जी को स्वच्छ रखना हम सभी का परम कर्तव्य है। गंगा स्वच्छता के लिये अपने व्यवहार में परिवर्तन लाये और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करे और यह ‘जल आंदोलन- जन आंदोलन बने, जल शक्ति-जन शक्ति बने, जल क्रान्ति-जन क्रान्ति बने तथा जल चेतना-जन चेतना बने।

आयुर्वेद ऋषि और पतंजलि विश्वविद्यालय के विश्वकर्मा आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि सनातन वैदिक संस्कृति को मानने वाले श्रद्धालुओं के लिये आज का अत्यंत पवित्र है। संस्कृति से हम है और मां गंगा संस्कृति को जीवंत रखने वाली है। हमारी सनातन संस्कृति के प्रति निष्ठा और समर्पण हो।

श्री प्रह्लाद सिंह जी पटेल ने कहा कि हम श्रेष्ठ संदेशों को सुनते है फिर भी गलतियाँ हमारे जीवन का अंग बन जाती है परन्तु सत्संग उन गलतियों को सुधारने का श्रेष्ठ मार्ग दिखाता है। सत्संग से लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। उन्होंने कहा कि मुझे लगभग 35 वर्षो बाद आज गंगा स्नान करने का अवसर प्राप्त हुआ। अगर हम गंगा को माँ मानते हैं तो उसमें गंदगी न डाले। गंगा के प्रति माँ जैसी श्रद्धा रखे और इसका संकल्प भी ले। वर्तमान समय में भारत की प्रगति और विकास तो हो ही रहा है परन्तु आध्यात्मिक विकास भी हो रहा है जिससे लगता है कि निश्चित रूप से  भारत माता विश्व गुरू के स्थान पर विराजमान होगी।

माननीय मंत्री जी ने कहा कि संकल्प में विकल्प नहीं होता। संकल्प में विकल्प खोजा गया तो महान कार्य रूक जायेंगे। माँ गंगा हम सभी को श्रेष्ठ संकल्प की शक्ति प्रदान करें।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आज गंगा दशहरा के अवसर पर कहा कि माँ गंगा धरती पर भगीरथ जी की साधना को स्वीकर करके आयी थी। वे आयी तो महाराजा सागर की सन्तानों को मुक्त करने परन्तु वह वापस स्वर्ग नहीं गयी। गंगा जी हम सभी के लिये; हम सभी को मुक्ति और शान्ति देने के लिये यहां पर धरती पर ही रूक गयी और तब से लेकर आज तक हर क्षण हमें शान्ति देती आ रही है।

उन्होंने कहा कि जीवन में 3 चीजें प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है। आदिगुरू शंकराचार्य जी ने कहा कि ये तीन चीजें आसानी से नहीं मिलती – मनुष्यतन, मुमुक्षुत्व (जानने की प्रवृति) और गुरू के श्री चरण। हम सभी को मनुष्यतन मिला है परन्तु हमारे दिल में प्रभु के लिये प्यास हो और गुरू के श्री चरणों में विश्वास हो।

ज्ञात हो कि गंगा दशहरा के पावन अवसर पर सांयकाल 8ः00 बजे परमार्थ गंगा तट पर भजन सम्राट कन्हैया मित्तल जी के भजनों का हम सभी आनन्द लेंगे।

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