स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और राष्ट्रीय कवि संगम के कवियों की हुई भेंटवार्ता

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज राष्ट्रीय कवि संगम के संरक्षक डा हरिओम पवार जी और ऋषिकेश के 4 बार से लोकप्रिय विधायक और माननीय वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विद्यायी एवं संसदीय कार्य, पुनर्गठन एवं जनगणना मंत्री उत्तराखंड सरकार श्री प्रेमचंद अग्रवाल जी को उनके जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें देते हुये श्री हरिओम पंवार जी को फलों का केक स्वामी जी ने अपने हाथों से खिलाया और रामचरित्र मानस की प्रति भेंट की।
डा हरिओम पवार जी के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में राष्ट्र, पर्यावरण और भारतीय संस्कृति को समर्पित राष्ट्रीय कवि संगम के संरक्षक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष श्री जगदीश मित्तल जी, डा हरिओम पवांर जी, श्रीकांत शर्मा जी, श्री अशोक बत्ता जी, श्री अशोक गोयल जी और अनेकों कवियों ने राष्ट्र की तत्कालीन समस्याओं के विषय में अद्भुत विचार व्यक्त किये और कविता पाठ भी किया।
मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी के श्रीमुख से परमार्थ निकेतन गंगा तट पर होने वाली मासिक मानस कथा में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम जिसमें देश के हजारों कवियांे की भागीदारी है और यह संगठन राष्ट्र, भारतीय संस्कृति और पर्यावरण को समर्पित है। इस मंच से जो कविता निकलती है वह दिलों को छू लेती है। इसमें वह प्राणतत्व और संदेश है जिसके माध्यम से निश्चित रूप से राष्ट्र में सकारात्मक परिवर्तन होगा। अब समय आ गया है कि इस देश को और इस धरा को प्रदूषण, प्लास्टिक, कचरा-कूड़ा जैसी अनेक समस्याओं से आजाद करायें।
मानस कथा के मंच से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देश के कवियों का आह्वान करते हुये कहा कि वर्तमान समय में भारत में सद्भाव, समरसता और समता को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है अतः ऐसी कवितायंे लिखी जायें जिससे सद्भाव पूर्ण वातावरण का निर्माण हो और कवियों की कवितायें जागरण, प्रेरणा और युवाआंे को दिशा देने का कार्य करें।
मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी ने कहा कि भगवान का नाम लेने से सुख आनन्द में बदल जाता है; प्रभु के नाम सुमिरन से शत्रुओं का नाश हो जाता है। उन्होंने आज के मानस प्रसंग में भगवान श्री राम जी के जन्म प्रसंग का विवरण किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने डा हरिओम पंवार जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।
डा हरिओर पंवार जी ने कहा कि हर वर्ष मैं अपना जन्मदिन अपने घर पर यज्ञ कर मनाता रहा हूँ परन्तु अगली बार मैं अपना जन्मदिवस परमार्थ निकेतन में मनाऊंगा। उन्होंने कहा कि दिव्य रूद्राक्ष का पौधा अब तक का सबसे दिव्य उपहार है।