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माँ गंगा के अवतरण दिवस गंगा सप्तमी और अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस की शुभकामनायेंस्वामी चिदानन्द सरस्वती

Bystaruknews

May 8, 2022

माँ गंगा के अवतरण दिवस गंगा सप्तमी और अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस की शुभकामनायेंस्वामी चिदानन्द सरस्वती

, ऋषिकेश गंगा सप्तमी के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माँ गंगा का अभिषेक कर विश्व शान्ति की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि गंगा एक नदी नहीं बल्कि हम भारतीयों की ‘माँ’ है और आज अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस भी है। माँ गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों  स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पातल लोक से होकर बहती है। 

राजा भगीरथ जो कि इक्ष्वाकु वंश के एक महान राजा थे उन्होंने कठोर तपस्या कर माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर अपने पूर्वजों को निर्वाण प्रदान कराने हेतु घोर तप किया था। राजा भगीरथ की वर्षों की तपस्या के बाद, माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं से होती हुईं पृथ्वी पर अवतरित हुईं। पृथ्वी पर जिस स्थान पर माँ गंगा अवतरित हुई वह पवित्र उद्गम स्थान गंगोत्री है। माँ गंगा ने न केवल राजा भागीरथ के पूर्वजों के उद्धार किया बल्कि तब से लेकर आज तक वह लाखों-लाखों लोगों को  ‘जीवन और जीविका’ प्रदान कर रही हैं तथा भारत की लगभग 40 से 45 प्रतिशत आबादी गंगा जल पर आश्रित है। 

स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं के लिये एक ही संदेश, ‘‘जल है तो जीवन है’’ ‘‘जल है तो कल है’’। जल को बचाना मतलब अपने भविष्य को बचाना।

आज पूरा विश्व पीस (शान्ति)- पीसफुल वल्र्ड की बात कर रहा है परन्तु जहां एक ओर स्वच्छ जल का अभाव है, एक बड़ी आबादी के पास पीने के लिये स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं है, भारत के कई राज्य ऐसे है जहां पर स्वच्छ जल तो दूर सामान्य जल भी आपूर्ति के हिसाब से बहुत कम है, ऐसे  में एक ही मंत्र है “जल प्रबंधन के साथ जीवन प्रबंधन, जल क्रान्ति को जन का्रन्ति बनाना होगा, जल चेतना को जन चेतना बनाना होगा, जल जागरण के लिये जन जागरण करना होगा तथा प्रत्येक को जल राजदूत बनना होगा तभी पानी को बचाया जा सकता है चूकि जल नहीं तो शान्ति नहीं।

स्वामी जी ने कहा कि जल को बनाया तो नहीं जा सकता पर बचाया जा सकता है ‘‘जो बचा हुआ जल है, वह भी यदि बचा लिया तो भी पर्याप्त है इसलिये उसका उपयोग जीवन रक्षक प्रणाली की तरह करना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा मनुष्यों का कायाकल्प और उन्हें जीवन प्रदान करती आ रही हैं परन्तु अब गंगा के कायाकल्प की जरूरत है क्योंकि धार्मिक और सामाजिक परम्परायें, धार्मिक आस्था और सामाजिक मान्यताओं के कारण माँ गंगा में प्रदूषण बढ़ने लगा हैं.

गंगोत्री, ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयागराज और वाराणसी जैसे प्रमुख स्थल हैं जिनका माँ गंगा के कारण ही अत्यधिक धार्मिक महत्व है। हरिद्वार को तो स्वर्ग का प्रवेश द्वार कहा जाता है ये सब महिमा और पर्यटन गंगा के कारण है इसलिये सिकुड़ती और प्रदूषित होती गंगा को जीवंत बनाये रखने के लिये ‘जल चेतना को जन चेतना’ एवं ‘जल आंदोलन को जन आंदोलन’ बनाना होगा ताकि पवित्र नदी माँ गंगा की दिव्यता चिरस्थायी रह सके।

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