मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने भूपतवाला हरिद्वार में नकलंक धाम के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को भूपतवाला हरिद्वार में नकलंक धाम के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया एवं श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह धाम सेवा के धाम से जाना जाएगा। उन्होंने प्रदेश वासियों एवं कार्यक्रम में मौजूद विभिन्न राज्यों से आये लोगों को रामनवमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रामनवमी के मौके पर श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हो रहा है, यह शुभ संयोग और सौभाग्य की बात है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कथा सुनने का अवसर सौभाग्यशाली लोगों को ही मिलता है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है। मई में उत्तराखण्ड में चार धाम यात्रा शुरू होगी। चारधाम यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आयेंगे। राज्य सरकार सुरक्षित चार धाम यात्रा को लेकर संकल्पवध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है
कि चार धाम यात्रा में आने वाले हर एक यात्री को बेहतर से बेहतर सुविधा मिल सके, इसके लिए उच्च स्तरीय बैठक की जा चुकी है। देवभूमि उत्तराखंड “अतिथि देवो भवः”के ध्येय वाक्य को अपनाकर सुरक्षित चार धाम यात्रा के लिए तैयार है, इसके लिए सभी व्यवस्था कर दी गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज हरिद्वार दौरे पर पहुंचे। हरिद्वार पहुंचे मुख्यमंत्री ने भूपतवाला क्षेत्र में नए बने नकलंक आश्रम का उद्घाटन किया और भागवत कथा में भी शामिल हुए। इस दौरान साधु संतों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का जोरदार स्वागत किया। मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के प्रकोप के चलते पिछले 2 सालों से चार धाम यात्रा ठीक ढंग से चल नहीं पाई थी। इस बार यात्रा ठीक ढंग से चलेगी और राज्य सरकार की कोशिश है कि यात्रा में जो भी श्रद्धालु उत्तराखंड आए वे बिना किसी परेशानी के सकुशल वापस लौटे। वहीं चार धाम यात्रा में गैर हिंदुओं के प्रवेश के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य, यहां की जनता और साधु-संतों के हित में जो भी निर्णय लेने की जरूरत होगी वे लिए जायेंगे।

कार्यक्रम में आयोजनकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया। इस दौरान पूर्व केबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद, नकलंक धाम के संस्थापक स्वामी राजेंद्र दास, जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे, एसएसपी डॉ योगेंद्र रावत पंडित त्रिभुवन कौशिक गुजराती गौर महाराज, संतगण एवं श्रद्धालु मौजूद थे।