
गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं-स्वामी कैलाशानंद गिरी
सैकड़ों भक्तों ने ली स्वामी कैलाशानंद गिरी से दीक्षा
हरिद्वार, 8 अक्तूबर। नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने देश के विभिन्न राज्यों और कई देशों से आए सैकड़ों भक्तों को दीक्षा प्रदान की। इस दौरान भजन संध्या का आयोजन भी किया गया।
भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि जीवन का कोई भी क्षेत्र हो। बिना गुरू के ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता है। गुरू से प्राप्त ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करने से ही सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि गुरू शिष्य परपरा सनातन धर्म की अनूठी परंपरा है। जिसमें गुरू शिष्य को गुरू मंत्र प्रदान करता है। गुरू ही परमत्मा का दूसरा स्वरूप हैं। जो शिष्य गुरू के प्रति आदर, विश्वास और श्रद्धा का भाव रखते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलता है। उस पर ईश्वरीय कृपा सदैव बनी रहती है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि मा गंगा के तट पर संत महापुरूषों का सानिध्य सौभाग्य से प्राप्त होता है। गंगा तट पर स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर जैसे दिव्य स्थान पर दीक्षा ग्रहण करने वाले भक्त भाग्यशाली हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरी के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि गुरूदेव के आशीर्वाद और मां दक्षिण काली की कृपा से सभी भक्तों का जीवन मंगलमय होगा।