
त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश-स्वामी सुरेश मुनि
पुण्य तिथी पर संत समाज ने किया ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश को नमन
हरिद्वार, 28 सितम्बर। ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज की 40वीं पुण्य तिथी पर संत समाज ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। भूपतवाला स्थित स्वतः मुनि उदासीन आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी सुरेश मुनि महाराज के संयोजन में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज संत समाज की दिव्य विभूति और प्रेरणा स्रोत थे। महामंडलेश्वर स्वामी सुरेश मुनि महाराज गुरू शिष्य परंपरा का पालन करते हुए जिस प्रकार अपने गुरू ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज के अधूरे कार्यो का आगे बढ़ा रहे हैं। उससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति ब्रहमलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज जैसे विद्वान संत का सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूदेव से प्राप्त शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए आश्रम की सेवा परंपरा को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उददेश्य है। महंत जगतार मुनि, महंत आकाश मुनि, स्वामी भगवत स्वरूप, महंत गोविंददास, महंत सूरज दास, महंत मोहन सिंह ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज का पूरा जीवन धर्म और अध्यात्म को समर्पित रहा। महंत जसविंदर सिंह, महंत गंगादास उदासीन, महंत नारायण दास पटवारी, महंत सूर्यांश मुनि, स्वामी अनंतानंद, महंत विष्णु दास ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज दिव्य आत्मा थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। स्वामी नरोत्मानद, लता जगदीश गर्ग, मुकुंद लाल गर्ग, रोहित गर्ग ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष और बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।