• Fri. Aug 8th, 2025

Star uk news

अपना उत्तराखंड

एन्का वर्मा – शक्ति, सेवा और सनातन धर्म का संगमजन्मदिवस पर एन्का वर्मा की प्रेरक जीवन यात्रा

Bystaruknews

Aug 8, 2025

एन्का वर्मा – शक्ति, सेवा और सनातन धर्म का संगम
जन्मदिवस पर एन्का वर्मा की प्रेरक जीवन यात्रा
विशेष लेख | 8 अगस्त 2025

“जहां करुणा, नेतृत्व और कर्तव्य एक साथ चलते हैं, वहीं से विलक्षणता की कहानी शुरू होती है।”

आज 8 अगस्त है — वह दिन जब विश्व को एन्का वर्मा जैसी एक विलक्षण, करिश्माई और कर्तव्यनिष्ठ नारी मिली।
एन्का मारिया नेक्स्यू जिनका जन्म रोमानिया के गालाती शहर में हुआ था, ने अपनी शुरुआत एक सफल उद्यमी के रूप में की जहां उनका असली उद्देश्य समाज, महिला सशक्तिकरण और सेवा के क्षेत्र में प्रभावी बदलाव लाना है। आज वे केवल एक ग्लोबल कॉर्पोरेट लीडर नहीं बल्कि नारी नेतृत्व की अंतरराष्ट्रीय पहचान बन चुकी हैं।

उद्यमिता में नई परिभाषा गढ़तीं

ओलालिया वल्ड ग्रुप की चेयरपर्सन के रूप में उन्होंने एक छोटे एफएमसीजी ब्रांड को ग्लोबल मल्टी-सेक्टर कॉर्पोरेट में बदल दिया जो हॉस्पिटैलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, फाइनेंस और पर्यटन से लेकर एयरलाइंस तक फैला है।
फ़ोर्ब्स यूरोप ने उन्हें दुनिया की सबसे धनी रोमानियाई महिला के रूप में सूचीबद्ध किया। यह पहचान उनके लिए केवल आर्थिक नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी का प्रतीक है।

नारी शक्ति की संपूर्ण मिसाल

भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित एन्का वर्मा को “विमेन इन्टरप्रूनर आफ दि ईयर 2018” भी घोषित किया गया। उनके सम्मान में मंच पर जब केंद्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गांधी उपस्थित थीं, तब यह केवल पुरस्कार नहीं बल्कि नारी नेतृत्व की स्वीकृति का क्षण था।

वे मानती हैं — “सशक्त नारी वह नहीं जो केवल अपने लिए लड़े, बल्कि वह है जो दूसरों को साथ लेकर चलने की क्षमता रखे।”

सेवा: एक विरासत और जीवन दर्शन

वह श्रीकांत वर्मा चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रबंध ट्रस्टी हैं यह ट्रस्ट उनके ससुर स्व. श्रीकांत वर्मा जी की स्मृति में साहित्य और समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य करता है।
साथ ही वे वीणा वर्मा फाउंडेशन की संरक्षिका हैं जो स्व. श्रीमती वीणा वर्मा जी की महिला जागरूकता और सेवा परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों और वृद्धाश्रमों में अप्रैल–मई 2024 में सहायता वितरण इसका जीवंत उदाहरण है।

उनकी सोच स्पष्ट है: “सेवा दिखावे के लिए नहीं, दायित्व के लिए होनी चाहिए।”

उन्होंने कैंसर सर्वाइवर्स के लिए चैरिटी फैशन शो से लेकर कोविड-19 के दौरान भारत-रोमानिया के अस्पतालों को हज़ारों मास्क, सैनिटाइज़र और मेडिकल सप्लाई प्रदान की। यह उनकी मानवीय प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

भूख और बेबसी से लड़ाई की योद्धा

विजय श्री फाउंडेशन के साथ मिलकर उन्होंने देश के कई सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन और रैन बसेरा उपलब्ध कराया।
उनके अनुसार — “खाली पेट सिर्फ भूख नहीं जगाता, वह व्यक्ति की गरिमा को भी घायल करता है और यह सबसे बड़ी पीड़ा है।”

परिवार, संस्कृति और विरासत की प्रहरी

एन्का वर्मा अपने पति डॉ. अभिषेक वर्मा (राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर शिवसेना एनडीए गठबंधन और चुनाव, उद्योगपति, रणनीतिक विशेषज्ञ) के साथ मिलकर पारिवारिक विरासत को आधुनिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ा रही हैं।
वह एक सशक्त मां, संवेदनशील पत्नी, आदर्श बहू और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सक्रिय नागरिक हैं।
तीन पीढ़ियों की सेवा परंपरा को उन्होंने अपनाया और विस्तार दिया — वह स्वयं में एक आंदोलन हैं।

एक आस्था जो प्रेरणा बन गई

आज जब दुनिया सशक्त नारीवाद की बात करती है, तब एन्का वर्मा उन चुनिंदा महिलाओं में हैं जिनके जीवन में यह केवल विचार नहीं बल्कि व्यवहार है।
उनकी कहानी यह बताती है कि अगर महिला चाहे तो वह एक घर की लक्ष्मी और समाज की क्रांति दोनों बन सकती है।

सनातन संस्कृति की गौरवशाली साधिका

एन्का वर्मा न केवल भारतीय संस्कृति को सम्मान देती हैं बल्कि उन्होंने हिन्दू धर्म और सनातन परंपराओं को अपने जीवन में अपनाया है।
वे गर्व के साथ हिंदू धर्म के संस्कार, रीति-रिवाज और पूजा-पद्धतियों का पालन करती हैं और यह उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

“सनातन धर्म केवल आस्था नहीं, जीवन जीने की पद्वति है।”
यह भावना उनके हर कार्य में स्पष्ट झलकती है।

वे नियमित रूप से व्रत, हवन, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेती हैं, और भारत के तीर्थ स्थलों में श्रद्धा से दर्शन करती हैं।
चाहे दीपावली हो, नवरात्रि, दशहरा या कृष्ण जन्माष्टमी — वे हर पर्व को पूरी श्रद्धा और पारंपरिक विधियों से मनाती हैं।

उनकी इस संस्कृति-निष्ठा को देखकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि —
“एन्का वर्मा जन्म से भले रोमानियाई हों, पर आत्मा से पूर्णतः सनातनी भारतीय हैं।”

उनका यह समर्पण भारत और उसकी आध्यात्मिक विरासत के लिए प्रेरणादायक है।
यह न केवल संस्कृति की स्वीकृति है, बल्कि हिंदुत्व की सार्वभौमिकता का प्रतीक भी।

आज उनके जन्मदिवस पर सभी शुभचिंतक सिर्फ उन्हें बधाई नहीं दे रहे बल्कि एक ऐसे जीवन को प्रणाम कर रहे हैं जिसने सभी को यह दिखाया कि नारी केवल शक्ति नहीं — वह समाज की आत्मा है। जब वह सेवा, करुणा और नेतृत्व के साथ आगे बढ़ती है, तो वह स्वयं युगों की धारा मोड़ सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sory