


पूरे सावन चलने वाली शिव आराधना निरंतर जारी है। रविवार को परमार्थ आश्रम में स्थित शिव मंदिर में आयोजित साध्वी. अनन्या पौराणिक कथा के अनुसार राजा परीक्षित को सांप के काटने पर मृत्यु का श्राप मिला था. यह श्राप उन्हें शमीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने दिया था. जिसके बाद तक्षक नाग के काटने के कारण उनकी मृत्यु भी हुई. इसके बाद राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने सभी नागों का नाश करने के लिए नागदाह यज्ञ किया था. जिसके बाद सभी सर्प उस यज्ञ में आकर जलकर मरने लगे लेकिन तक्षक नाग जाकर इंद्र के सिंहासन से लिपट गया. यज्ञ के प्रभाव से जिस सिंहासन से तक्षक नाग लिपटा था वो डोलने लगा. तब आस्तीक मुनि ने हस्तक्षेप किया और राजा जनमेजय को यज्ञ रोकने के लिए राजी किया. आस्तिक मुनि के प्रयास से सर्प जाति का अस्तित्व तो बच गया लेकिन उस समय कई ऐसे सर्प थे जो आग में जलने के कारण पीड़ा झेल रहे थे. उस पीड़ा को शांत करने के लिए उनके उपर कच्चा दूध डाला गया. उसी दिन से नागों की विशेष पूजा प्रारंभ हो गई.