
आज श्रवणनाथ नगर, हरिद्वार स्थित आचार्य महापीठ रामानन्द आश्रम से दो दर्जन से अधिक तेरह भाई त्यागी खाक चौक अयोध्या के संतों की एक विशाल पदयात्रा का शुभारंभ हुआ। यह पदयात्रा आचार्य महापीठ से प्रारंभ होकर चार धाम, रानीखेत, नैमिषारण्य, द्वादश ज्योतिर्लिंग व देश के प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों से होकर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करती हुई पुनः हरिद्वार में संपन्न होगी।

इस अवसर पर वैष्णव विरक्त मण्डल के अध्यक्ष और ख्यातिप्राप्त सन्त बलराम दास बाबा हठयोगी जी महाराज ने यात्रा को ध्वज दिखाकर रवाना किया। उन्होंने संतों को साधुवाद देते हुए देशभर के सनातन प्रेमियों से आवाहन किया कि वे इस धर्मयात्रा में साधु-संतों को यथोचित सत्कार, सहयोग एवं सहयोग प्रदान करें। बाबा हठयोगी जी ने कहा, “सनातन धर्म की जीवंतता साधु-संतों की तपस्या और समाज जागरण में ही निहित है। यह पदयात्रा एक चलती-फिरती धर्मसभा है जो न केवल तीर्थों को जोड़ने का कार्य करेगी, बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों, अधार्मिक प्रवृत्तियों और विघटनकारी सोच का भी प्रतिकार करेगी।”
पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म की मूल शिक्षाओं का प्रचार, सामाजिक समरसता का संदेश, नशा व अंधविश्वास जैसी सामाजिक बुराइयों से जनजागरण करना तथा युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति के प्रति जागरूक करना है। यह यात्रा अनेक धार्मिक स्थलों पर रुकते हुए श्रद्धालुओं को धर्मोपदेश, भागवत, रामचरितमानस, वेदांत, भक्ति और सेवा की प्रेरणा भी देगी।
इस वैष्णव पदयात्रा में जो प्रमुख विरक्त संत सम्मिलित हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं: ज्ञानेश्वर दास, नरसिंह दास, तुलसी दास, सीताराम दास, अवधेश दास, जयराम दास, संतोस दास, वृंदावन दास, दिलीप दास, कल्याण दास, भारत दास त्यागी, बालक दास, राजकुमार दास, बलराम दास, अवध बिहारी दास, हरिविलास मिश्रा, सतेंद्र दास, रघुनाथ दास, गोकुल नाथ, त्रिवेणी दास, राम माधव दास आदि।
पदयात्रा में शामिल सभी संत संयम, ब्रह्मचर्य, भिक्षा और व्रत के मार्ग का अनुसरण करते हुए, देश के गांव-गांव तक सनातन धर्म के मूल भावों को पहुंचाने का संकल्प लेकर चले हैं।