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पुण्य तिथी पर संत समाज ने दी ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश को श्रद्धांजलित्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे ब्रह ्मलीन स्वामी बौध प्रकाश-स्वामी परमात्मदेव

Bystaruknews

May 30, 2024

पुण्य तिथी पर संत समाज ने दी ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश को श्रद्धांजलि
त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे ब्रह ्मलीन स्वामी बौध प्रकाश-स्वामी परमात्मदेव
हरिद्वार, 30 मई। ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश महाराज की 25वीं पुण्य तिथी पर भूपतवाला स्थित ब्रह्म निवास आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सभी तेरह अखाड़ों के संतों ने ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश महाराज अलौकिक गुणों से विभूषित दिव्य संत थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश महाराज त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे। वे भाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि गुरू के दिखाए मार्ग पर चलते हुए आश्रम की सेवा परंपरा को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। सभी को उनके जीवन आदर्शो से प्ररेणा लेनी चाहिए। स्वामी कृष्णानंद और स्वामी रविदेव शास्त्री ने फूलमाला पहनाकर सभी संत महापुरूषों का स्वागत किया और कहा कि परमार्थ के लिए जीवन समर्पित करने वाले संतो के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी बौध प्रकाश महाराज ने संत परंपरा का पालन करते हुए भक्तों को धर्म और अध्यात्म का ज्ञान प्रदान किया। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी कल्याणदेव, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत नारायण दास पटवारी, स्वामी कपिल मुनि, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी सूर्यदेव, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी हरिहरानंद, महंत जसविंदर सिंह, स्वामी केशवानंद, महंत मोहन सिंह, स्वामी दिनेश दास, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी चिदविलासानंद, महंत प्रेमदास, महंत रघुवीर दास, महंत निर्भय सिंह, महंत जयराम दास, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, भक्त दुर्गादास, महंत तीरथ सिंह, पदम प्रकाश सुवेदी, अनिरूद्ध भाटी, अनिल मिश्रा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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