नंदनी यूक्रेन गई थी एमबीबीएस की पढ़ाई करने , तीन महीने हुए थे यूक्रेन गए हुए, मगर हालात ऐसे हो गए कि वहां पर रूस ने हमला कर दिया और अब युद्ध के हालात में वह बंकर में रहने के लिए मजबूर
रिपोर्ट
राजीव गुप्ता
धर्म नगरी हरिद्वार की नंदनी यूक्रेन गई थी एमबीबीएस की पढ़ाई करने , तीन महीने हुए थे यूक्रेन गए हुए, मगर हालात ऐसे हो गए कि वहां पर रूस ने हमला कर दिया और अब युद्ध के हालात में वह बंकर में रहने के लिए मजबूर हैं और खाने पीने के लिए भी खुद ही इंतजाम करना पड़ा है मगर वह इन युद्ध के हालात में भी डरी हुई नहीं है बल्कि यहां भारत में रह रहे अपने माता-पिता से लगातार बात कर रही है और उनको हौसला दे रही है कि चिंता न करने के लिए बार-बार कह रही है, यह नंदिनी शर्मा जगजीतपुर निवासी राकेश शर्मा और कल्पना शर्मा की बेटी है उसकी उम्र अभी 19 20 साल ही है हालांकि नंदनी के माता पिता अपनी बेटी को लेकर चिंतित है पर उन्हें विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के होते हुए उनकी बेटी को कुछ नहीं होगा बेटी जल्दी सकुशल वापस आ जाएगी और उनके साथ होगी ,

मानते हैं कि सरकार द्वारा यूक्रेन में फंसे बच्चों को लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों से भी वे संतुष्ट हैं और मानते हैं कि कुछ ही दिन में उनकी बेटी उनके साथ उनके घर पर होगी ।
नंदनी के पिता राकेश शर्मा का कहना है क्योंकि बेटी नंदिनी एमबीबीएस पढ़ाई करने के लिए गई थी, 10 दिसंबर को ,क्योंकि वहां खर्चा भी कम है यहां के अपेक्षा इसलिए तय किया था कि यूक्रेन में पढ़ लेगी और उसकी पढ़ने की इच्छा भी थी और अपनी ही इच्छा से वह यूक्रेन पढ़ने के लिए गई थी, जैसा वह नंदनी बता रही है वहां पर पहले तो मैस में खाना खाने के लिए जाते थे मगर जब से आपातकाल घोषित हुआ है तब से मैस बंद हो गई है , खाने की खुद ही व्यवस्था करनी पड़ रही है , हमने भी उसे कहा था कि जितने पैसे हैं उससे जाकर खाने पीने का सामान लाकर रख लो जितने दिन का भी सामान ला सको मगर जब सामान लेने गए तो इन्हें 8-10 दिन का ही सामान मिल पाया, बिस्किट ब्रेड आदि लाकर रख लिया लेकिन जैसे जैसे दिन निकल रहे हैं अब बच्चों को मानसिक तनाव होने लगा है, तनाव तो हम लोगों को भी है बच्चे इतनी दूर गए हुए हैं इन हालात में कैसे आएंगे ,क्या होगा और किस लिए बच्चों को भेजा था हो क्या गया ,बच्चों को पैसा खर्च करके अपने से दूर किया था ,सरकार से संपर्क किया गया है शासन के द्वारा फोन भी आ रहे हैं शासन भी क्या कर सकता है नाम भेज दिया है बाकी स्थिति सामान्य होगी तब देखते हैं क्या होगा, हां अब तो यही है कि बच्चा वापस आए, अब वहां पढ़ाई है नहीं, 24 घंटे डर का माहौल है वहां पर हर समय तैयार रहना पड़ता है भूख नहीं लग रही इनको नींद नहीं आ रही है हर समय इनको तैयार रहना पड़ रहा है, बेसमेंट है बिल्डिंगों के जो बेसमेंट है उनको बंद कर बंकर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है वहीं पर रहना हो रहा है रात्रि में भी सोने पर कमरा बंद करके नहीं सोना है कहते हैं कि गहरी नींद नहीं सोना है ,चैतन्य में रहकर सोना है अगर कुछ हो तो सारे बच्चे एक साथ भागे अपना अपना बैग लेकर, इस तरह का भय का माहौल बन गया है और भी जिन लोगों के बच्चे हैं वह भी परेशान है हरिद्वार के दो तीन बच्चे और हैं एक बच्चा अन्य जगह पर है वहां स्थिति नाजुक है वहां पर भी बंकरों में रहना पड़ रहा है, हमारी बच्चे से लगातार बात हो रही है सरकार ने अब तके जो कदम उठाया है अगर पहले ही एडवाइजरी जारी कर रहे थे शुरू में ही कह देते 10 तारीख में या 5 में कि अंदेशा है यहां आपको रहना नहीं है आप निकलो तो हम कितना भी खर्चा करते हैं लेकिन बच्चों को वापस बुला लेते, मोदी जी पर विश्वास है कि बच्चे सुरक्षित आ जाएंगे खर्चा तो सभी गार्जियन देने को तैयार है बड़ा कर भी लेंगे तो दे देंगे बस इतना है कि बच्चे सुरक्षित अपने घर आ जाए।
की मां अलका शर्मा का कहना है कि मोदी जी बहुत कर रहे हैं उनके लिए बहुत कोशिश में लगे हुए हैं कि बच्चे आएंगे कह रहे हैं कि भारत के सभी बच्चों को बुलाएंगे अब उन्हीं पर विश्वास है हमें तो मोदी जी पर विश्वास है चिंता तो बहुत है अपने बच्चों की चिंता तो मां-बाप को होती ही है लेकिन यही सब बच्चे एक साथ हैं इसमें थोड़ा सा मन को तसल्ली दे लेते हैं सभी के मां-बाप चिंता में हैं मन में यही बात है कि जल्दी से जल्दी आ जाए अपने घर पर सुरक्षित आ जाए कोई भी टेंशन न हो बच्ची को, वह हमें ही हौसला देती है बहुत हौसला देती है कि आप टेंशन मत लो हम यहां ठीक हैं, ठीक-ठाक घर पर आ जाएंगे यह तो लगता ही है कि 3 महीने पहले ही बच्ची गई थी अब युद्ध के हालात बन गए हैं लेकिन क्याग करें सबके साथ ऐसा ही है।