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भगवान श्रीचंद्र की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करें-स्वामी सुरेंद्र मुनिश्री अवधूत जगतराम उदासीन आश्रम में समारोह पूर्वक मनायी गयी श्रीचंद्र जयंती

Bystaruknews

Sep 25, 2023

भगवान श्रीचंद्र की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करें-स्वामी सुरेंद्र मुनि
श्री अवधूत जगतराम उदासीन आश्रम में समारोह पूर्वक मनायी गयी श्रीचंद्र जयंती
हरिद्वार, 25 सितम्बर। कनखल स्थित श्री अवधूत जगतराम उदासीन आश्रम में उदासीनाचार्य भगवान श्रीचंद्र की जयंती आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी सुरेंद्र मुनि के संयोजन में समारोह पूर्वक मनायी गयी। इस अवसर पर आदि श्री गुरू गं्रथ साहिब का अखण्ड पाठ व संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी सुरेंद्र मुनि महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने पूरे देश का भ्रमण कर तत्कालीन समाज में व्याप्त सामाजिक असमानता, भेदभाव जैसी कुरीतियों को दूर कर समाज को एकजुट किया और धर्म प्रचार कर अध्यात्म की राह दिखायी। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीचंद्र के उपदेश और उनकी शिक्षाएं आज भी समाज का मार्गदर्शन कर रही हैं। सभी को उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान का संकल्प लेना चाहिए। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने सभी को भगवान श्रीचंद्र जंयती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि समाज में व्याप्त अज्ञानता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश करने वाले भगवान श्रीचंद्र समस्त संत समाज के आदर्श और प्ररेणा स्रोत हैं। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी शिवांनद महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र महाराज जन-जन के आराध्य हैं। उन्होंने सनातन धर्म संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए देश को एकता के सूत्र में बांधा। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत राघवेंद्र दास व कारोबारी महंत गोविंददास महाराज ने कहा कि भारत संत महापुरूषों की तपोभूमि है। भगवान श्रीचंद्र महाराज ने समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर किया और सनातन धर्म को शिखर पर स्थापित किया। महंत सुतीक्षण मुनि ने कहा कि समाज को ज्ञान व भक्ति का मार्ग दिखाने वाले भगवान श्रीचंद्र महाराज की शिक्षाएं अनंतकाल तक संसार का मार्गदर्शन करती रहेंगी। महंत सुतीक्षण मुनि व संत सुदेश मुनि तथा आश्रम के ट्रस्टियों ने सभी संत महापुरूषों पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। इस अवसर महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, महंत विनोद महाराज, स्वामी दिनेश दास, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत हरिदास, महंत तीरथ सिंह, महंत मोहन सिंह, स्वामी शिवम महंत, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी सुतीक्षण मुनि, महंत मुरलीदास, महंत बलवंत दास, महंत प्रेमदास सहित अनेक संत व श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

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