सनातन धर्म संस्कृति को आगे बढ़ाने में अखाड़ों, मठ मंदिरों की अहम भूमिकामहंत बलवीर गिरी
वाघम्बरी मठ प्रयागराज के महंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति को आगे बढ़ाने में अखाड़ों, मठ मंदिरों की अहम भूमिका है। देश दुनिया में सनातन धर्म संस्कृति की पताका फहरा रहे संत महापुरूषों के सानिध्य में भारत एक बार पुनः विश्व गुरू की पदवी पर आसीन होगा। निरंजनी अखाड़े में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म के मार्ग पर अग्रसर करने में संत समाज हमेशा ही अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। संतों के सानिध्य में आने वाले भक्त का कल्याण अवश्य होता है। सभी को धर्म के मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि अखाड़े एवं मठ मंदिर समाज को धर्म के प्रति जागरूक करने के साथ विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से जरूरतमंदों की मदद में भी अहम भूमिका निभाते हैं। निरंजनी अखाड़े द्वारा अन्न क्षेत्र, विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ने हमेशा ही दुनिया का मार्गदर्शन किया जा रहा है। सनातन धर्म की उदार परंपरांओं से प्रभावित होकर यूरोपीय देशों के लोग भी सनातन धर्म संस्कृति को अपना रहे हैं। महंत हरगोविंद पुरी महाराज ने कहा कि मां गंगा सनातन धर्म की पहचान है। देश दुनिया के करोड़ों लोग मां गंगा मे प्रति अगाध आस्था रखते हैं। प्रत्येक श्रद्धालु भक्त का कर्तव्य है कि गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूक रहते हुए गंगा को निर्मल, अविरल बनाने में सहयोग करें। महंत दिनेश गिरी ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। गुरू के सानिध्य में ही शिष्य के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। सभी को सदैव गुरू के प्रति आदर रखते हुए उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। इस दौरान महंत दिनेश गिरी, महंत ओमकार गिरी, महंत गंगा गिरी, महंत आशुतोष पुरी, स्वामी रवि पुरी सहित कई संत मौजूद रहे।