*11 सितंबर से पितृ लोक से आयेगे पितर 15 दिनों तक करेगे पृथिवी पर निवास जिस प्रकार से हम लोग स मस्त तीज त्योहार मनाते हे तथा समस्त 36 कोटि देवताओं को नमन करते हे ठीक उसी प्रकार से पितृ पक्ष में अपने पितरों का आवाहन उनकी मृत्यु तिथि में करते हे।हमारे ग्रंथो में देवता की पूजा से भी ज्यादा ग्रंथ पितृ शांति, पितृ ऋण इत्यादि का वर्णन हे।कहा जाता हे की देव कार्य से पहले पितृ कार्य किया जाता हे ।तथा देव कार्य में तो किसी भी प्रकार के ब्रहामिन को निमंत्रण दिया जा सकता हे परंतु पितृ कार्य में केवल विशेष ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान हे।इससे पितृ पक्ष की उपयोगिता का पता चलता है।वर्ष में 15 दिन पितृ पक्ष के होते हे कनागत या श्राद्ध कहा जाता हे कनागत इसलिए क्योंकि इन दिनों में सूर्य कन्या राशि गत होती हे या कन्या राशि में होते हे श्रध्दा से इस कर्म को करने के कारण इन दिनों को श्राद्ध कहा जाता हे।ये श्राद्ध आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में होते हे।इस बार पहला श्राद्ध 10 सितंबर कोहोगा इसे पूर्णिमा का श्राद्ध कहा जायेगा पूर्णिमा तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए पितर इस दिन अपने अपने परिवार में अपना हिस्सा लेने आयेगे।इसी दिन प्रतिपदा का भी श्राद्ध होगा,11 सिम्बर को द्वितीया का ,12को तृतीया का,13 को चतुर्थी का,14 को पंचमी का,15 को छठा,16को सप्तमी का,अष्टमी का दो दिन होगा 17 को भी 18 को भी, नवमी का 19 को होगा, दशमी का20 को, एकादसी का 21 को, सन्यासियो का द्वादशी का 22 को,23को त्रियोदशी का,24को चतुरदशी का तथा विष से मरने वालो का,25को सभी का श्राद्ध किया जा सकता हे।इस दिन अमावस्या का होगा।इस दिन हरिद्वार में विशेष भीड़ होगी कुशा घाट,नारायणी शीला,पर लोग पितृ शांति कराने आयेगे।…….. प्रतीक मिश्र पुरी भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी कनखल