हाथियों के लिये जलाशय और कारिडोर योजना वन्य जीवों के लिये अत्यंत लाभदायकपुष्कर सिंह धामी

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री माननीय श्री पुष्कर सिंह धामी जी की देहरादून में भेंटवार्ता हुई। राज्य के युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर ंिसंह धामी जी को उनके सेवाभावी व्यक्तित्व और राज्य को समर्पित कार्यो के लिये रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के 70 वें जन्मदिवस के अवसर पर पांच रूद्राक्ष वनों के रोपण के साथ ही विभिन्न संकल्प लिये गये थे। इसी क्रम में प्रथम रूद्राक्ष वन की स्थापना हरिद्वार में करने का स्वामी जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी को सुझाव देते हुये कहा कि 75 हजार रूद्राक्ष के पौधों का रोपण हेतु परमार्थ निकेतन अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा। स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड में अध्यात्म और नैसर्गिकता का अद्भूत संगम है, इस दिव्य संगम को बनायें रखने के लिये वृक्षों और जल का संरक्षण नितांत आवश्यक है। साथ ही रूद्राक्ष के पौधों का रोपण एवं संरक्षण करने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप रूद्राक्ष प्राप्त होने से उनकी आस्था में वृद्धि होगी।
चर्चा का दूसरा विषय हाथियों के लिये उचित जल की व्यवस्था हेतु जलाश्यों का निर्माण करना ताकि हाथियों को शहरों की ओर न आना पड़े। हाथियों के झुंड को प्रतिवर्ष तकरीबन 350-500 वर्ग किलोमीटर पलायन करने के रूप में जाना जाता है परंतु, तेजी से कटते वनों, खंडित होते प्राकृतिक परिदृश्यों और सूखते जल स्रोतों के कारण हाथी शहरी क्षेत्रों में प्रवेश करने को मजबूर है, जिसके कारण दिन-प्रतिदिन मनुष्य-हाथियों के संघर्ष की खबरें देखने को मिलती है। मानव के साथ-साथ हाथियों के जीवन को सुरक्षित करने के उद्देश्य से परमार्थ निकेतन द्वारा हाथियों, बंदरों, पशु-पक्षियों और अन्य वन्य जीवों के लिये जलाशयों का निर्माण किया जा रहा है एवं इससे सतही जल बढ़ेगा। स्वामी जी ने बताया कि पहाड़ों की संरचना और वैज्ञानिक आधार पर जलाशयों का निर्माण किया जायेगा तथा जलाशयों के आसपास जलदार पौधों का रोपण किया जायेगा ताकि सतही जल को भी सुरक्षित रखा जा सके।
भारत की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड से पलायन करने वालों की संख्या अत्यधिक है। अंतर-जिला पलायन से अंतर-राज्यीय पलायन का प्रतिशत अधिक है क्योंकि घटते रोजगारों के अवसरों के कारण लोग अपने घरों से दूर चले जाते हैं। बेहतर स्वास्थ्य, चिकित्सा सुविधाओं और उत्तम शिक्षा प्राप्त करने के लिये भी लोग पलायन करते हैं। स्वामी जी ने कहा कि पहाड़ की समस्यायें भी पहाड़ जैसी है परन्तु मिलकर इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है ताकि पहाड़ फिर से हरे-भरे और समृद्ध हो सके।
माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने स्वामी जी द्वारा प्रस्तुत की तीनों योजनाओं का स्वागत करते हुये कहा कि निश्चित रूप से रूद्राक्ष वन रोपण योजना और औषधि युक्त पौधों के रोपण से काफी हद तक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा सकते हैं। साथ ही हाथियों के लिये जलाशय और कारिडोर योजना, जिसे प्रथम चरण में नीलकंठ मार्ग पर लागू किया जा रहा है, उसके पश्चात इसे पूरे राजाजी नेशनल पार्क के लिये प्लान किया जायेगा। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन की यह पहल अत्यंत सराहनीय है।
स्वामी जी ने रूद्राक्ष वन रोपण की शुरूआत का रूद्राक्ष का प्रथम पौधा माननीय मुख्यमंत्री जी को मुख्यमंत्री आवास में रोपित करने हेतु भेंट किया।