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भूमि, देवभूमि, तपोभूमि और सैन्य भूमि है और परमार्थ निकेतन के ये क्षण और यह स्थान दिव्य, भव्य और पवित्र है

Bystaruknews

Jun 4, 2022

भूमि, देवभूमि, तपोभूमि और सैन्य भूमि है और परमार्थ निकेतन के ये क्षण और यह स्थान दिव्य, भव्य और पवित्र है

75 वें अमृत महोत्सव के अवसर पर परमार्थ गंगा तट पर पर्यावरण और नदियों को समर्पित मानस कथा और पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के अवतरण दिवस के अवसर पर मनायें जा रहें सेवा सप्ताह के दूसरे दिन को संस्कृति और विरासत की रक्षा हेतु पूज्य स्वामी जी के अथक प्रयासों को समर्पित किया गया है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य संत श्री रमेश भाई ओझा जी, राज्यपाल उत्तराखंड माननीय श्री गुरमीत सिंह जी, संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल जी, मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री अजय भाई जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित आज के दिव्य कार्यक्रम की शुरूआत की।
ज्ञात हो कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी पिट्सबर्ग में प्रसिद्ध हिंदू जैन मंदिर और सिडनी ऑस्ट्रेलिया में शिव मंदिर के संस्थापक और प्रेरणास्रोत हैं जिसका जिक्र माननीय राज्यपाल महोदय जी ने भी अपने उद्बोधन में किया है।
स्वामी जी ने दुनिया भर में अनेकों मंदिरों और भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके संरक्षण एवं मार्गदर्शन में वर्ष 2012 में प्रकाशित हिन्दू धर्म विश्वकोष जो अब 11 खण्डों में उपलब्ध है और प्रत्येक खंड एक महाग्रंथ हैं। यह महाग्रंथ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये अनमोल धरोहर है। इसे भारत सहित विश्व के अनेक देशों के विश्वविद्यालयों एवं पुस्तकालयों में प्रतिष्ठित किया गया है। यह महाग्रन्थ हिन्दू धर्म पर शोध करने वाले छात्रों के लिये वरदान सिद्ध हुआ है। आज इस महाग्रंथ की प्रतियां माननीय राज्यपाल महोदय जी को भेंट की गयी।
स्वामी जी ने परमार्थ निकेतन प्रागंण में इण्डिया और इण्डोनेशिया के संगम का प्रतीक पद्मासना मन्दिर विराजित किया गया है इसके माध्यम से इण्डिया और इण्डोनेशिया में रहने वाले हिन्दुओं के मध्य सेतु बनाया जा रहा है। इससे पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् का, विश्व एक परिवार है का संदेश पहुंचाया जा रहा है। यह मन्दिर संस्कृतियों के आदान-प्रदान का अद्भुत संगम है।
स्वामी जी ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के दौरान वहां पर जाने वाले यात्रियों के कष्टों का अनुभव किया और उसके पश्चात अथक प्रयासों से चीन सरकार से बातचीत करके कैलाश मानसरोवर में सर्वसुविधाओं से युक्त तीन आश्रमों और अस्पताल का निर्माण कराया। वैश्विक स्तर पर ऐसे अनेक सेवाकार्य पूज्य स्वामी जी महाराज द्वारा सम्पन्न किये जा रहे हैं।
सेवा सप्ताह कि दूसरे दिन मानस कथा के दिव्य मंच से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि इस देश का हर सैनिक किसी संत से कम नहीं है। एक-एक सैनिक 33 करोड़ देशवासियों की रक्षा के लिये समर्पित है। भारत जीता जागता राष्ट्र है और हर भारतीय परमात्मा का साक्षात हस्ताक्षर है। स्वामी जी ने संदेश दिया कि हमारा जीवन तीर्थ बनें तमाशा नहीं इसलिये अपने कल्चर, नेचर और फ्यूचर की रक्षा करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि संस्कृति और प्रकृति बचेगी तो आने वाली संतति भी बचेगी। संस्कृति और प्रकृति का संरक्षण ही हमारी धरती को बचा सकता है। इस समय भारत के पास श्रद्धावान सरकार है और संस्कारवान जनता है। हमारे पास दशमेश न होते हो देश न होता इसलिये बाल दिवस को चारों शाहबजादों के बलिदान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय सरकार ने लिया है वह साधुवाद के पात्र है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है। इस पावन सांस्कृतिक विरासत, धरोहर और इतिहास का संरक्षण करना हम सभी का परम कर्तव्य है। संस्कृति किसी भी समुदाय और राष्ट्र की वह अमूल्य निधि है जो सदियों से उस समुदाय या राष्ट्र के अवचेतन को अभिभूत करते हुए निरंतर समृद्ध होती रहती है और भारत की संस्कृति उन्हीं में से एक है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत की दिव्य संस्कृति ने समय के साथ अपनी समकालीन पीढ़ियों की विशेषताओं को अपने में आत्मसात कर वर्तमान पीढ़ी के लिये संस्कारों को विरासत के रूप संजो कर रखा हैं ताकि आने वाली पीढ़ियों का पालन-पोषण उन्हीं दिव्य संस्कारों से हो सके।
उन्होंने पलायन का जिक्र करते हुये कहा कि घरों और देश को सरक्षित रखना है तो पलायन का समाधान निकालना होगा इसलिये परमार्थ निकेतन ने एक योजना बनायी है ताकि उत्तराखंड में रहने वाले लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।
राज्यपाल माननीय श्री गुरमीत सिंह जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन के ये क्षण और यह स्थान दिव्य, भव्य और पवित्र है। मां गंगा के तट पर श्री राम कथा और पूज्य आत्माओं के साथ दिव्यता का अनुभव हो रहा है। यहां पर एक अलग ही राग है। जीवन भी एक लगन है; एक राग है। स्वामी जी ने अपने जीवन के 70 में से 62 वर्ष यहां पर समर्पित किये हैं। उनकी 62 वर्षों की लगन और सच्ची सेवा का यह सेवा महोत्सव है।
माननीय राज्यपाल जी ने कहा कि साध्वी जी ने भारत की भावनाओं, दिव्यता और भव्यता को स्वीकार किया है यह वास्तव में अनुकरणीय है। उत्तराखंड चमत्कारी भूमि, देवभूमि, तपोभूमि और सैन्य भूमि है जहां दिव्यतायुक्त चमत्कार हो सकते हैं।
उन्होंने पूज्य स्वामी जी को जन्मदिन की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आपने प्रकृति और नदियों के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है; राष्ट्र, समाज, मानवता, दूसरों के लिये समर्पित किया है।
गुरूनानक देव जी ने कहा कि सब कुछ तेरा उसे आत्मसात करके चलना है। स्वामी जी ने अपने जन्म दिवस को सेवा सप्ताह और सेवा जीवन के रूप में समर्पित कर मानवता को दिव्य संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सैनिक, संत, सेवक और सिख में कोई फर्क नहीं होता। हम सभी को एक सैनिक, संत और स्कालर्स की तरह जीवन जीना चाहिये।
उत्तराखंड के हर परिवार में एक सैनिक है, जो भारत की सेवा में समर्पित है। भारत एक विश्व गुरू बनेगा और भारत हमेशा से ही विश्वगुरू रहा है। श्री राम जी कथा का श्रवण करने पर पता चलता है कि भारतीयता क्या है। स्वामी जी ने कहा कि 14 नवम्बर बाल दिवस को शाहबजादों के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिये और उसके कुछ दिनों बाद जी ही माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसकी घोषणा की कि चारों शाहबजादों की याद में शहीदी दिवस मनाया जायेगा। श्रेष्ठ विचारों और संस्कारों को आगे ले जाने में प्रभु भी हमारी मदद करता है इसलिये पूज्य संतों के संरक्षण में भारत निश्चित रूप से विश्व गुरू बनेगा। स्वामी जी हर वक्त चिंतन करते है कि पौधों को कहा लगाया जायंे आदि अनेक ओजस्वी विचार माननीय राज्यपाल महोदय जी ने व्यक्त किये।
पूज्य संत श्री रमेश भाई ओझा जी ने कहा कि सेवामय जीवन जीने वाले महापुरूष के 70 वें अवतरण उत्सव पर सेवा सप्ताह का आयोजन अतुलनीय है। हमारे प्रत्येक कर्म को व्यापार कहा जाता है वह भी इन्द्रिय व्यापार। हमारा जीवन पंच महाभूतों से बना हुआ है। पंचमहाभूतों को देव समझ कर हमें उनका पूजन और रक्षण करना चाहिये। स्वामी जी पेड़ लगाकर धरती माता का श्रृंगार कर अपने जीवन से हरियाली संवर्द्धन का संदेश देते है। एक पेड़ लगाने का मतलब है एक मंदिर बनाना। पेड़ लगाने से माता धरती का श्रृंगार होता है, अनेक पक्षियों को भोजन मिलता है, अनेकों को आश्रय मिलता है इसलिये कम से एक पेड़ अवश्य लगाये यही यज्ञ है।

संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल जी ने कहा कि ‘संत न होते जगत में तो जल जाता संसार’ सभी पूज्य संतों को प्रणाम करते हुये कहा कि गुरू कृपा से जो प्राप्त होता है वह धन कभी समाप्त नहीं होता और न कोई उसे चोरी कर सकता है। गुरू द्वारा दिये गये ज्ञान रूपी धन से भवसागर से पार हो जाते है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी का 70 वां जन्म दिवस एक सेवा सप्ताह के रूप में मना रहे हैं। स्वामी जी ने अपना पूरा जन्म सनातन धर्म, संस्कृति, संस्कारों और दिव्य विरासत के लिये समर्पित किया है। हमारी सनातन परम्परा और संस्कृति को उसके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराने के लिये हिन्दू धर्म विश्वकोश की दिव्य रचना अपने संरक्षण में की। इस अवसर पर साध्वी जी ने कहा कि स्वामी जी ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से पूरे विश्व में योग को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
श्री विनोद बागरोड़िया जी ने कहा कि हमने मानवता की सेवा के लिये सेवा आश्रम बनाया है जिसके माध्यम से 4 लाख दिव्यांग बच्चों के लिये कृत्रिम हाथों और पैरों का निर्माण किया हैं। बच्चों की आखों की चिकित्सा हेतु मोबाइल वैन की सुविधायें उपलब्ध करायी है। मंदबु़िद्ध (सीपी) बच्चों और उनके माता-पिता के कष्टों के निवारण के लिये 40 करोड़ का अस्पताल बनाया जा रहा है ताकि समाज में खुशहाली आयें।
इस अवसर पर स्वामी जी ने ईमामी फाउंडेशन के श्री राधेश्याम गोयनका जी के कार्यों की भी सराहना की।
स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को गौ के गोबर से बने गमले में लगा रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी का अभिनन्दन किया।

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