क्षमता निर्माण कार्यशाला का समापन स्वामी चिदानन्द सरस्वती
परमार्थ निकेतन में क्षमता निर्माण कार्यशाला के समापन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में एडवाइजर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, आदरणीय श्री जगमोहन गुप्ता जी, महानिदेशक आईआईपीए माननीय सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी जी, श्री विनोद शर्माजी, गंगा विचार मंच उत्तराखंड, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार श्री लोकेन्द्र सिंह बिष्ट जी, पद्म श्री रावत जी और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के अन्य अधिकारियों ने स्वच्छ गंगा निर्मल गंगा का संकल्प किया।

क्षमता निर्माण कार्यशाला का समापन पपेट शो और स्वच्छता संदेश रैली के माध्यम से किया गया। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आईआईपीए के अधिकारियों को आश्वस्त करते हुये कहा कि माँ गंगा और यमुना के तटों को स्वच्छ रखने के लिये परमार्थ निकेतन सदैव नमामि गंगे और आईआईपीए के साथ हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि एक-एक आश्रम एक-एक तट को गोद लेकर उसकी स्वच्छता का पूरा-पूरा ध्यान रखें। साथ ही स्वामी जी ने परमार्थ निकेतन में जलज माडॅल स्टूडियो लगाने हेतु भी अपनी स्वीकृति प्रदान की।
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा नमामि गंगे के तहत माँ गंगा के हितधारकों हेतु मिश्रित क्षमता निर्माण कार्यक्रम सौंपा गया है, जिसमें छात्र, युवा, मास्टर ट्रेनर, शहरी स्थानीय निकाय अधिकारियों, आध्यात्मिक गुरू, पूज्य संत और अन्य अधिकारियों ने भी सहभाग किया और यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गंगा जी और यमुना जी की सफाई हेतु सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये गंगा और यमुना के तटों पर बसे शहरों, गाॅंवों एवं कस्बों के लोगों को जागरुक करने के लिये नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि ‘जल चेतना’ ‘जन चेतना’ बनें एवं ‘जल आंदोलन’ ‘जन आन्दोलन’ बनें।
महानिदेशक आईआईपीए माननीय सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी जी ने परमार्थ निकेतन से चलते-चलते कहा कि पूज्य स्वामी जी वर्तमान समय में गंगा के ‘भगीरथ’ है मुझे विश्वास है कि हमें घाटों को स्वच्छ रखने की जो जिम्मेदारी प्राप्त हुयी हैं उसे हम आपके मार्गदर्शन और पूज्य संतों के आशीर्वाद से जरूर पूरा कर पायेंगे।
एडवाइजर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, श्री जगमोहन गुप्ता जी ने कहा कि गंगा जी की स्वच्छता के लिये सरकारी प्रयासों के साथ जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक है।
75 वें अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में हो रही मानस कथा के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व-बंधुत्व’ और ‘अहिंसा परमोधर्मः’ का संदेश दिया। भारत एक बहुभाषी और बहुसंस्कृतिक वाला राष्ट्र है। यहाँ प्रत्येक नागरिक को विचार, विश्वास, धर्म, उपासना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है। साथ ही हमारी संस्कृति भी मिल-जुलकर रहने तथा ‘वसुधैव-कुटुम्बकम्’ के मूल्य को महत्त्व देती है इसी संदेश को पावन माँ गंगा के तट से अपने साथ लेकर जाये।