



क्षमता निर्माण एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भस्वामी चिदानन्द सरस्वती
एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, महामंडलेश्वर हरिचेतना नन्द जी, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी जी, महंत ऋषिश्वरानन्द जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष डा साध्वी भगवती सरस्वती जी, जैन सम्प्रदाय के धर्मगुरू, एडवाइजर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, आदरणीय श्री जगमोहन गुप्ता जी, महानिदेशक आईआईपीए माननीय सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी जी, श्री विनोद शर्माजी, गंगा विचार मंच उत्तराखंड, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार श्री लोकेन्द्र सिंह बिष्ट जी, पद्म श्री रावत जी, सुश्री गंगा नंदिनी जी, अन्य विशिष्ट अतिथियों एवं पूरी गंगा टीम ने सहभाग किया।
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान को आध्यात्मिक समुदाय के परामर्श की जिम्मेदारी दी गई है इसी परिपेक्ष्य में परमार्थ निकेतन के सहयोग और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश में पूज्य संतों, धर्मगुरूओं के नेतृत्व में जनजागरण हेतु प्रथम बार एक दिवसीय आध्यात्मिक कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया।
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा नमामि गंगे के तहत माँ गंगा के हितधारकों हेतु मिश्रित क्षमता निर्माण कार्यक्रम सौंपा गया है, जिसमें छात्र, युवा, मास्टर ट्रेनर, शहरी स्थानीय निकाय अधिकारियों, आध्यात्मिक गुरू, पूज्य संत और अन्य अधिकारियों ने भी सहभाग किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि माँ गंगा को जीवंत बनाये रखने के लिये गंगा के पैरोकार बनें पहरेदार बनें क्योंकि माँ गंगा के बिना हम अधूरे हैं, हम सभी को गंगा जी की आवश्यकता है इसलिये सभी को गंगा संरक्षण के लिये आगे आना होगा। जल बचेगा तो जीवन बचेगा, जीविका बचेगी तो जिन्दगी बचेगी, जल जागरण को जन जागरण बनाना होगा, जल चेतना – जन चेतना बने, जल क्रान्ति जन क्रान्ति बने क्योंकि ‘जल है, तो कल है’, जल है तो जीवन है।
स्वामी जी ने कहा कि हमारी ’अर्पण, तर्पण और समर्पण’ की संस्कृति है। हमें हरित तीर्थाटन और हरित पर्यटन को ध्यान में रखना होगा। स्वच्छ तीर्थ और हरित तीर्थ की ओर बढ़ना होगा। हमें कूडे और प्लास्टिक कचरे के निस्तारण का वैज्ञानिक तरीका खोजना होगा। माँ गंगा के तटों पर या इस क्षेत्र में चाहे वह टीएचडीसी हो, सिंचाई योजनायें, खनन, पेय सब गंगा पर ही निर्भर है। इन सभी संस्थानों का जो हिस्सा है उसे गंगा जी के मेंटनेस के लिये ही लगाना होगा। हमें खनिज न्यास की तरह गंगा न्यास बनाना चाहिये।
स्वामी जी ने कहा कि नो हिमालय, नो गंगा, हिमालय है तो ग्लेशियर है, हिमालय है तो गंगा है। ग्लोबल वार्मिग के कारण ग्लेशियर्स पिघल रहे हैं। वर्तमान समय में ग्लेशियर्स 45 से 50 फीट तक खिसक गये है। हमें इस पर गंभीर चिंतन करना होगा। हिमालय स्वस्थ तो, भारत मस्त इसलिये हमें पीस टूरिज्म, आॅक्सीजन टूरिज्म, योग और ध्यान टूरिज्म की तरह इसे आगे लाना होगा, क्योंकि हिमालय ’भारत का स्विट्जरलैंड भी है और स्पिरिचुअल लैण्ड भी। गंगा जी भारत की दिव्यता और भव्यता का संगम है।
महानिदेशक आईआईपीए माननीय सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी जी ने कहा कि हम परमार्थ निकेतन में गंगा के चिंतक भगीरथ स्वामी जी के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से इस कार्यक्रम को सम्पन्न कर रहे हैं। गंगा के तट पर रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में हिन्दुस्तान है। हम एजेन्डा कितने भी बना ले परन्तु जनभागीदारी के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है।
एडवाइजर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, श्री जगमोहन गुप्ता जी ने कहा कि गंगा जी और नदियों के संरक्षण के लिये हमारे प्रयत्न भी गंगा जी के प्रवाह की तरह ही अविरल होने चाहिये। उन्होंने धर्मगुरूओं का आह्वान करते हुये कहा कि माँ गंगा के एक-एक घाट को गोद लेकर हम गंगा जी को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त कर सकते है।
ज्ञात हो कि भारत सरकार ने 1986 में पहली बार गंगा एक्शन प्लान के माध्यम से माँ गंगा को फिर से पहले जैसा निर्मल और पवित्र बनाने की पहल की। नमामि गंगे प्रोग्राम इसी क्रम में एक नयी शुरुआत हैं जिसे 2014 में अपनाया गया। नमामि गंगे कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं- सीवरेज ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर, रिवर-फ्रंट डेवलपमेंट, रिवर-सतह सफाई, जैव विविधता, वनीकरण, जन जागरूकता, औद्योगिक अपशिष्ट निगरानी और गंगा ग्राम कार्यक्रम के तहत प्रमुख मिशनों में से एक जन जागरूकता लाना भी है।
75 वें अमृत महोत्वस के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में हो रही मानस कथा के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को प्रतिज्ञा करवायी गयी कि ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम् की परम्परा को आगे बढ़ाते हुये मैं प्रतिज्ञा लेते हैं कि गंगा एवं नदियों के घाट को साफ रखेंगे, नदियों में कूड़ा-कचरा व पाॅलिथीन नहीं डालेंगे, नदियों में नहाते हुये साबुन का प्रयोग नहीं करेंगे, नदियों में कपड़े धोते वक्त डिटर्जेंट का प्रयोग नहीं करेंगे, नदियों को स्वच्छ रखने के लिये लोगों को प्रेरित करेंगे। हजारों लोगों ने परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश गंगा तट पर प्रतिज्ञा ली।
गंगा नदी बेसिन के सतत, पारिस्थितिक और आर्थिक विकास के लिए, नमामि गंगे ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली को जनसमुदाय को जागृत करने का काम सौंपा है। आज के कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य क्षमता और जन जागरूकता को मजबूत करना और बहु-क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा देना है।