

श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और मानस कथाकार मुरलीधर जी के पावन सान्निध्य में शुभारम्भ
परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और प्रसिद्ध मानस कथाकार मुरलीधर जी के पावन सान्निध्य में आचार्य श्री छबीले लाल जी गोस्वामी और आचार्य
प्रथमेश लाल जी गोस्वामी की मधुर वाणी में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ हुआ।
आज विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पुस्तकें हमारी सबसे श्रेष्ठ मित्र होती है। पुस्तकें हमें हमारे मूल, मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों से जोड़ती है। वे हमारी सबसे अच्छी मित्र, पथ प्रदर्शक है उनसे न केवल हमें ज्ञान प्राप्त होता है बल्कि किताबें अकेलेपन को अपनेपन में बदल देती हैं. किताबें अतीत और वर्तमान के बीच ज्ञानवर्द्धक पुल की तरह कार्य करती हैं । जो हमें अपने इतिहास से तो जोड़ती ही हैं साथ ही भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करती हैं।
स्वामी जी ने कहा कि किताबें हमारा बौद्धिक खजाना है जो कि देश के बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विचारों, संस्कारों और संस्कृतियों को पहुंचाने का कार्य करती हैं । श्रीमद् भगवत गीता उसका श्रेष्ठ उदाहरण है। वेदों और उपनिषदों में जिन नैतिक और दार्शनिक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है, गीता जी उनमें समन्वय स्थापित करके उनका सारतत्त्व प्रस्तुत करती है। गीता जी हमें ‘निष्काम कर्म’, फलाकांक्षा का त्याग, इन्द्रियों को संयमित करना, मन पर पूर्ण नियंत्रण करना, स्वनियंत्रण और फलासक्ति के बिना कर्म करने का संदेश देती है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी किताबों से दूर होती जा रही हैं और स्मार्टफोन के पास जा रही है। एक सर्वे से पता चला कि जब बच्चों से यह पूछा गया कि वे स्मार्टफोन/इंटरनेट आदि माध्यमों को किस प्रकार उपयोग करना पसंद करेंगे तो 52.9 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि वे चैटिंग (व्हाट्सएप/फेसबुक/इंस्टाग्राम/स्नैपचैट जैसे इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप का उपयोग ) करते हैं। भारत के लगभग 749 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 232 मिलियन बच्चे हैं। इंटरनेट के द्वारा एक ओर तो कनेक्टिविटी व ज्ञान तक बच्चों की पहंुच बनी है वही दूसरी ओर हानिकारक और अनुचित सामग्री के संभावित जोखिमों में भी वृद्धि हुयी हैं। जबकि किताबों के मामले में यह बात लागू नहीं होती क्योंकि किताबों में ज्ञान का अचूक भण्डार है इसलिये बच्चों को इंटरनेट के साथ – साथ इनरनेट से जोड़ने के लिये श्रेष्ठ साहित्य, शास्त्रों और वेदों से जुड़ने के लिये भी प्रोत्साहित करें।
मानस कथाकर मुरलीधर जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन में आकर कथा का वाचन व श्रवण करने न केवल आध्यात्मिक ज्ञान और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है बल्कि पर्यावरण और गंगा संरक्षण का संदेश भी प्राप्त होता है। जिससे न केवल वर्तमान पीढ़ी का बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिये भी स्वच्छ और समुन्नत वातावरण तैयार किया जा सकता है।
कथा निवेदक बेरी सर, अमृतसर से श्री कृष्ण गोपाल शर्मा और अन्य सभी श्रद्धालु परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में भगवत कथा और गंगा जी की दिव्य आरती का आनन्द ले रहे हैं।