
दुबई प्रवास पर पूज्य गुरुदेव का दिव्य प्रवचन कार्यक्रम भक्तों के लिए एक अलौकिक और अविस्मरणीय अवसर सिद्ध हुआ। हज़ारों श्रद्धालु भक्तगण बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ गुरुजी के पावन सान्निध्य में एकत्रित हुए और उनकी वाणी एवं आशीर्वचन का लाभ प्राप्त किया। अपने प्रवचन में पूज्य महाराज जी ने श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीरामचरितमानस एवं शिव महापुराण के अमृत वचनों का उल्लेख करते हुए सभी को धर्म, भक्ति और साधना का महत्व समझाया। उन्होंने कहा— “गुरु ही जीवन का सच्चा पथप्रदर्शक है, और जब शिष्य नाम-जप, भक्ति और शास्त्रों का चिंतन करता है, तभी उसका जीवन सार्थक बनता है।”
मंत्रोच्चारण और पूज्य गुरुजी की वाणी से पूरा वातावरण दिव्य ऊर्जा से गूंज उठा। विदेश की इस पावन धरती पर भी वही अध्यात्मिकता और श्रद्धा का अनुपम संगम देखने को मिला, जो हमारी सनातन संस्कृति और भारतीय परंपरा की महानता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। भक्तगणों ने गुरु पूजन कर गुरुजी का आशीर्वाद प्राप्त किया और जीवन में धर्म, ज्ञान और सेवा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
गुरुदेव ने सभी को यह प्रेरणा दी कि— “सच्ची साधना वही है, जिसमें मन, वाणी और कर्म से ईश्वर का स्मरण हो और मानवता की सेवा सर्वोपरि हो।” यह दिव्य प्रवचन कार्यक्रम न केवल भक्तों के जीवन को आलोकित करने वाला रहा, बल्कि दुबई की धरती पर सनातन धर्म की गंगा बहाने वाला ऐतिहासिक क्षण भी बन गया।**