त्याग तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थी ब्रह्मलीन गुरूमाता-स्वामी परमात्मदेव
हरिद्वार, 29 जुलाई। भूपतवाला स्थित श्री ब्रह्मनिवास आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज के संयोजन में आयोजित गुरूजन स्मृति दिवस कार्यक्रम में ब्रह्मलीन गुरूमाता का स्मरण करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। कार्यक्रम के दौरान संत समाज ने दो मिनट का मौन रखकर मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुए हादसे में जान गंवाने श्रद्धालुओं को भी श्रद्धांजलि दी और मां गंगा से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। संत महंतों और श्रद्धालुजनों को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज ने कहा कि गुरू का स्थान सर्वोच्च है। ब्रह्मलीन गुरूमाता त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थी। धर्म और समाज की सेवा में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि सनातन धर्म और अध्यात्म के प्रचार प्रसार में अहम योगदान करने वाली ब्रह्मलीन गुरूमाता संत समाज की प्रेरणास्रोत थी। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। स्वामी ऋषिश्वरानंद ने कहा कि अपने गुरूजनों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए स्वामी परमात्मदेव महाराज जिस प्रकार समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। स्वामी कृष्णदेव महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी रामानंद, स्वामी योगेंद्रानंद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी दरवेशानंद, स्वामी दयामूर्ति नन्द, स्वामी शिवम महंत सहित अनेक संत महंत और श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।
त्याग तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थी ब्रह्मलीन गुरूमाता-स्वामी परमात्मदेव
