भगवान शिव ही सृष्टि के रचियता हैं-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार, 20 जुलाई। श्री दक्षिण काली मंदिर में स्थित शिव मंदिर में आयोजित निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज की शिव आराधना निरंतर जारी है। पूरे सावन चलने वाली शिव आराधना के दौरान स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज विभिन्न प्रकार के पुष्पों से शिवलिंग का श्रंग्रार का गंगाजल और पंचामृत आदि द्रव्यों से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि भगवान शिव ही सृष्टि के रचियता हैं। शिव आराधना के प्रभाव से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। जिससे कल्याण और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। श्रद्धालु भक्तों को सावन में शिव आराधना के महत्व से अवगत कराते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि शिव आराधना कभी भी की जा सकती है। लेकिन सावन में शिव आराधना का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष के प्रभाव से संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। हलाहल विष के प्रभाव भगवान शिव का पूरा शरीर नीला हो गया और उन्हें बेहद पीड़ा होने लगी। भगवान को पीड़ा से व्याकुल देख सभी देवताओं ने उनका गंगाजल अभिषेक किया। जिससे उन्हें पीड़ा से राहत मिली। स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि पीड़ा से राहत मिलने पर प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त गंगाजल से उनका अभिषेक करेगा। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी और वह संसार के सभी सुखों का अधिकारी बनेगा। इसके बाद से भगवान शिव के जलाभिषेक की परंपरा शुरू हुई। जलाभिषेक ही शिव आराधना का मूल तत्व है। जो भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और वे सुखमय जीवन व्यतीत कर शिवधाम के उत्तराधिकारी बनते हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि गुरूदेव की शिव आराधना के फलस्वरूप समस्त जगत का कल्याण होगा। उत्तराखंड सहित पूरे देश में सुख समृद्धि का वातावरण बनेगा।
भगवान शिव ही सृष्टि के रचियता हैं-स्वामी कैलाशानंद गिरी
