गंगा दशहरे पर श्रीमहंत मधूसूदन गिरी ने दी शिष्यों को दीक्षा
गुरू शिष्य परंपरा सनातन संस्कृति की अनूठी परंपरा है-श्रीमहंत मधूसूदन गिरी

हरिद्वार, 5 जून। गंगा दशहरे के अवसर कनखल सन्यास मार्ग स्थित श्री बापेश्वर धाम के परमाध्यक्ष श्रीमहंत मधूसूदन गिरी महाराज ने बैरागी कैंप घाट पर 21 किलो दूध से मां गंगा का दुग्धाभिषेक और पूजन किया और स्वामी प्रभु नारायण गिरी एवं स्वामी सीताराम को दीक्षा प्रदान की। स्वामी प्रभु नारायण गिरी एवं स्वामी सीताराम को आशीर्वाद देते हुए श्रीमहंत मधूसूदन गिरी महाराज ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा सनातन संस्कृति की अनूठी परंपरा है। शास्त्रों में गुरू को ईश्वर के समान दर्जा दिया गया है। गुरू ही शिष्य के जीवन में छाए अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश करता है। जिससे शिष्य के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। सनातन धर्म संस्कृति में गंगा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि गंगा प्रत्यक्ष देवी है। मोक्षदायिनी मां गंगा के जल के दर्शन और आचमन मात्र से ही व्यक्ति का कल्याण हो जाता है। गंगा हमारी आस्था का केंद्र है। गंगा की पवित्रता बनाए रखना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। स्वामी प्रभुनारायण गिरी एवं स्वामी सीताराम ने कहा कि पूज्य गुरूदेव से प्राप्त दीक्षा और ज्ञान का अनुसरण करते हुए समाज में धर्म और अध्यात्म का प्रचार करना ही उनके जीवन का लक्ष्य है। स्वामी माधव तीर्थ महाराज, स्वामी मुरारी दास, स्वामी वन्दना गिरी, स्वामी कृष्णदास, स्वामी सम्राट बापू, स्वामी मस्तराम गिरी, अवधूत स्वामी, स्वामी मोहनदास, स्वामी शंभू पुरी, महंत ओमानंद गिरी, स्वामी विक्रम गिरी, स्वामी दर्शन गिरी, स्वामी अमृत गिरी आदि ने संतों ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित किया। इस दौरान परेश भाई, उमेश भाई पटेल, प्रह्लाद भाई, दिनेश भट्ट, शांति लाल, कोमल भट्ट, पंडित प्रेम कुमार सहित कई श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।