मां भगवती की आराधना और साधना को समर्पित हैं नवरात्र की नौ दिव्य रात्रिस्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार, 5 अप्रैल। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि नवरात्र की नौ दिव्य रात्रि जगदंबा मां भगवती की आराधना और साधना को समर्पित है। नवरात्र का यह पावन पर्व धार्मिक महत्व के साथ सांस्कृतिक विविधता का भी प्रतीक है। नवरात्र में हर दिन जगत जननी मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंध माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। श्री दक्षिण काली मंदिर में नवरात्र साधना के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि नवरात्र भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरांओं का प्रतीक है। नवरात्र केवल शक्ति की उपासना का पर्व ही नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और साधना का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि चैत्र नवरात्र को वसंत नवरात्र भी कहा जाता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा पृथ्वी पर विराजमान रहकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उनके कष्टों का निवारण करती हैं। नवरात्रों में मां दुर्गा की आराधना से साहस, शक्ति और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को नवरात्रों में उनकी आराधना अवश्य करनी चाहिए। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि गुरूदेव रविवार को दुर्गा नवमी पर 101 कन्याओं का पूजन कर नवरात्र साधना का समापन करेंगे।
मां भगवती की आराधना और साधना को समर्पित हैं नवरात्र की नौ दिव्य रात्रिस्वामी कैलाशानंद गिरी
