पुण्यतिथि पर संत समाज ने दी ब्रह्मलीन स्वामी गोपालानन्द महाराज को श्रद्धांजलि
गुरू परंपरांओं को आगे बढ़ाते हुए समाज को धर्म और अध्यात्म की प्रेरणा देना ही जीवन का उद्देश्य-महंत स्वामी रामानन्द महाराज
हरिद्वार, 5 दिसम्बर। भूपतवाला स्थित गोपाल आश्रम के महंत स्वामी रामानन्द महाराज के गुरू ब्रह्मलीन स्वामी गोपालानन्द महाराज की तीसरी पुण्य तिथी पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में संत समाज ने ब्रह्मलीन स्वामी गोपालानन्द महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। गोपाल आश्रम के महंत स्वामी रामानन्द महाराज ने कार्यक्रम में शामिल हुए संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन गुरूदेव स्वामी गोपालानन्द महाराज से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं के अनुसरण और संत समाज के आशीर्वाद से गुरू परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए समाज को धर्म व अध्यात्म की प्रेरणा देना और सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। स्वामी रविदेव शास्त्री व महंत सूरजदास ने कहा कि योग्य शिष्य ही गुरु की कीर्ति को बढ़ाते हैं। स्वामी गोपालानन्द महाराज विद्वान संत थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। गुरू के रूप में ऐसे विद्वान संत का सानिध्य भाग्यशाली व्यक्ति को मिलता है। महंत स्वामी रामानन्द महाराज सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें ब्रह्मलीन स्वामी गोपालानन्द महाराज के सानिध्य में धर्म और अध्यात्म की शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। महंत नारायण दास पटवारी व महंत प्रह्लाद दास ने कहा कि गुरू से प्राप्त ज्ञान और संत परंपराओं का अनुसरण करते हुए महंत स्वामी रामानन्द महाराज को समाज का मार्गदर्शन करने के साथ धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में भी योगदान करते देखना सुखद व प्रेरणादायक है। श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि धर्म प्रचार में ब्रह्मलीन स्वामी गोपालानन्द महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सभी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर स्वामी विनोद महाराज, श्रीमहंत विष्णुदास, महंत नारायण दास पटवारी, स्वामी ललितानन्द गिरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत सूरजदास, स्वामी दिनेश दास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत प्रेमदास, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, महंत जयराम दास, महंत प्रमोद दास, स्वामी ज्ञानानन्द, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह सहित सभी अखाड़ों के संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।