प्रयागराज कुंभ के पहले एक बार फिर महिला संतों ने अपने लिए अखाड़ों की तर्ज पर अलग से अमृत स्नान और तमाम सुविधाओं की मांग कर हंगामा खड़ा कर दिया है।

हरिद्वार में महिला संतों ने परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर जाग्रत चेतना गिरी का चयन कर प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि पुरुष प्रधान अखाड़ों की तरह उन्हें भी प्रयागराज कुंभ सभी सुविधाएं दी जाएं, क्योंकि महिला संत भी देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं।

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– प्रयागराज कुंभ के ऐन पहले एक बार फिर संतों की आपसी राजनीति गरमा गई है, इस बार तलवारें अखाड़ों में नहीं बल्कि महिला संतों और सभी 13 अखाड़ों के बीच में है। खुद को देश की आधी आबादी का प्रतिनिधत्व करने वाली महिला संतों की बड़ी संख्या है। हरिद्वार, वृंदावन, प्रयागराज, वाराणसी समेत देश के कई हिस्सों में हजारों महिला संत हैं, जाग्रत चेतना गिरी, नवनियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर, परी अखाड़ा का कहना है पुरुष प्रधान अखाड़ों ने महिला संतों को कभी भी सम्मान नहीं दिया, संतों के सभी 13 अखाड़ों को मिलाकर गठित अखाड़ा परिषद में भी महिला संतों के लिया कोई स्थान नहीं है, ऐसे में महिला संतों ने अपने ‘ परी अखाड़े ‘ के लिए आचार्य महामंडलेश्वर पद पर एक महिला संत का पट्टाभिषेक कर ताल ठोंक दी है।


– हरिद्वार के भूपतवाला स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारों और पूरे रीति रिवाज से आचार्य महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक किया गया। परी अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवंता का कहना है कि उनके अखाड़े को 14 वां अखाड़ा ना माना जाए, बल्कि सभी अखाड़ों की तरह उन्हें कुंभ में पूरा सम्मान दिया जाए। परी अखाड़ा प्रमुख का कहना है कि वे किसी भी विवाद में जाना नहीं चाहती, उनके अनुसार देश भर में घूम घूम कर वे परी अखाड़े में सभी महिला संतों को शामिल करेंगी और महिला संतों को उनका अधिकार दिला कर रहेंगी।