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सनातन धर्म संस्कृति की रीढ़ हैं संत महापुरूष-स्वामी जित्वानन्द

Bystaruknews

Sep 15, 2024

धर्म, अध्यात्म और सेवा का प्रमुख केंद्र है भगवान धाम कबीर आश्रम धर्मशाला ट्रस्ट
-स्वामी हरिचेतनानंद
सनातन धर्म संस्कृति की रीढ़ हैं संत महापुरूष-स्वामी जित्वानन्द
हरिद्वार, 15 सितम्बर। भूपतवाला स्थित श्री भगवान धाम कबीर आश्रम धर्मशाला ट्रस्ट में वार्षिक संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। स्वामी जित्वानन्द महाराज की अध्यक्षता में आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि भगवान धाम कबीर आश्रम धर्मशाला ट्रस्ट धर्म, अध्यात्म और सेवा का प्रमुख केंद्र है। त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति स्वामी जित्वानन्द महाराज के नेतृत्व में आश्रम की देश भर में स्थित शाखाएं सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में अहम भूमिका निभा रही हैं। स्वामी जित्वानन्द महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मानव कल्याण के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले संत महापुरूष सनातन धर्म संस्कृति की रीढ़ हैं। संत महापुरूषों के सहयोग और आशीर्वाद से श्री भगवान धाम कबीर आश्रम धर्मशाला ट्रस्ट की सेवा संस्कृति का विस्तार करना ही उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि परमार्थ के लिए जीवन समर्पित करने वाले संत महापुरूषों का अपना कुछ नहीं होता है। संत महापुरूष जो कुछ भी बनाते हैं। वह समाज के उपयोग के लिए होता है। भगवान धाम कबीर आश्रम धर्मशाला ट्रस्ट विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से मानव कल्याण में योगदान कर रहा है। महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद महाराज एवं महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है और सद्गुरू की कृपा से ही संत महापुरूषों का सानिध्य प्राप्त होता है। इसलिए संत महापुरूषों के सानिध्य के अवसर को कभी गंवाना नहीं चाहिए। स्वामी प्रकाशानन्द, महंत फागुन सिंह, स्वामी श्यामानन्द, स्वामी परमानन्द एवं स्वामी श्रद्धानन्द ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। स्वामी प्रकाशानन्द ने कहा कि जिस स्थान पर महापुरूषों के चरण पड़ते हैं। वह स्थान पवित्र और पूज्यनीय हो जाता है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत जसविन्दर सिंह, महंत गोविंददास, महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत बिहारी शरण, स्वामी राममुनि, महंत देवानंद सरस्वती, स्वामी दिनेश दास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत श्यामप्रकाश, महंत विनोद महाराज, महंत प्रह्लाद दास, महंत दुर्गादास, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी अनंतानंद, महंत गंगादास सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महंत व बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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