राष्ट्र की एकता अखण्डता कायम रखने में संत महापुरूषों की अहम भूमिकामहंत बलवंत सिंह
हरिद्वार, 28 अगस्त। कनखल दादूबाग स्थित शुकदेव कुटी में संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। शुकदेव कुटी के परमाध्यक्ष महंत बलवंत सिंह के संयोजन एवं महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज की अध्यक्षता में आयोजित संत सम्मेलन में महंत बलवंत सिंह के शिष्य सिख संगत गुजरात के महामंत्री पवन सिंधी का जन्मोत्सव भी मनाया गया। सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने पवन सिंधी को आशीर्वाद प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। महंत बलवंत सिंह ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखण्डता कायम रखने में संत महापुरूषों की अहम भूमिका है। संत महापुरूषों ने हमेशा समाज का मार्गदर्शन कर सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान किया। उन्होंने कहा कि पवन सिंधी सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार के साथ समाज को एकजुट करने में अपना योगदान दे रहे हैं। संत महापुरूषों का आशीर्वाद उनके साथ है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति में जन्मोत्सव के अवसर पर गुरू और संतों का आशीर्वाद लेने की परंपरा है। संत महापुरूषों का सम्मान करने वाले पवन सिंधी की गुरू के प्रति निष्ठा सभी के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि पवन सिंधी भारत के साथ विदेशों में भी सनातन धर्म संस्कृति की पताका फहरा रहे हैं। पूर्व राज्यमंत्री सुखदेव सिंह नामधारी ने कहा कि समाज के कल्याण के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से संत महापुरूष मानव सेवा में भी अहम योगदान दे रहे हैं। जिससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। पवन सिंघी ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव महंत बलवंत सिंह और संतजनों द्वारा दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज को एकजुट कर मानव सेवा करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, बाबा हठयोगी, महंत रघुवीर दास ने कहा कि योग्य शिष्य ही गुरू की कीर्ति को बढ़ाते हैं। पवन सिंधी भाग्यशाली है कि उन्हें गुरू के रूप में महंत बलवंत सिंह का सानिध्य प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर महंत रूपेंद्र प्रकाश, महंत जमनादास, महंत राघवेंद्र दास, महंत खेमसिंह, महंत दुर्गादास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत गोविंददास, स्वामी कपिल मुनि, समाजसेवी अतुल शर्मा, महंत प्रह्लाद दास, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, बाबा हठयोगी, महंत दामोदर शरण दास, महंत मोहन सिंह, संत जगजीत सिंह, सुखदेव सिंह नामधारी, समाजसेवी डा.अवतार सिंह शास्त्री सहित कई संत महंत व श्रद्धालुजन मौजूद रहे।