हरिद्वार। ज्ञानवापी केस में वाराणसी जिला कोर्ट द्वारा व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार मिलने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने खुशी व्यक्त करते हुए इसे जहां हिंदुओं की जीत बताया वही कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा कि कोर्ट का फैसला अभी हिंदू समाज के लिए आधी खुशी है, पूर्ण खुशी भी शीघ्रता से हिंदुओं को मिलेगी, जब हमारे आराध्य भगवान शिव भव्य व दिव्य मंदिर में पधारेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान राम के भगवान शिव आराध्य हैं। वही भगवान शिव के राम आराध्य हैं। 22 जनवरी को भगवान शिव के आराध्य अपने दिव्य व भव्य मंदिर में विराजमान हो गए। जब श्री राम मंदिर में विराजमान हो गए हैं तो भगवान शिव का भी विराजमान होना भी निश्चित हो गया है। अब इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि भगवान श्री राम के आराध्य भगवान शिव भी शीघ्र ही अपने दिव्य व भव्य मंदिर में पधारेंगे।
कोर्ट के निर्णय के बाद सच्चाई उजागर हुई है। संत समाज निर्णय का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी स्थल पर मंदिर था और हमेशा रहेगा। ज्ञानवापी परिसर के अंदर और बाहर देवी देवताओं की मूर्तियों का मिलना, हिंदू अभिलेखों का अंकित होना इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि वहां भगवान विश्वनाथ का मंदिर था। साथ ही शिवलिंग के समक्ष नदी का विराजमान होना भगवान विश्वनाथ के होने का पुख्ता प्रमाण है। उन्होंने कहा कि देश में सौहार्द के लिए मुस्लिम पक्ष को अपना दावा छोड़ते हुए हिंदुओं को विवादित कथित ज्ञानवापी सौंप देना चाहिए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद हिंदू समाज की बड़ी जीत हुई है। जिस प्रकार से करीब पांच शताब्दी का लंबा संघर्ष करने के बाद भगवान राम लला का दिव्य व भव्य मंदिर बना। वहीं करीब 350 वर्षो के संघर्ष के बाद अब भगवान विश्वनाथ भी अपने दिव्य व भव्य मंदिर में शीघ्र पधारेंगे। कोर्ट के आज के निर्णय से इस बात की प्रबल संभावना हो गई है जो की सनातन धर्मावलंबियों के लिए खुशी की बात है।