सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद मोदी सरकार से की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह का अधिकार देने से इनकार कर दिया है क्योंकि इस विवाह का कोई अयोग्य अधिकार नहीं है सिवाय इसके कि इसे कानून के तहत मान्यता दी गई है नागरिक संघ को कानूनी दर्जा प्रदान करना केवल अधिनियमित कानून के माध्यम से हो सकता है समलैंगिक संबंधों में ट्रांससेक्सुअल व्यक्तियों को शादी करने का अधिकार है समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है समलैंगिक लोगों को नागरिक संघ का कानूनी दर्जा प्रदान करना केवल अधिनियमित कानून के माध्यम से ही हो सकता है लेकिन समलैंगिक व्यक्तियों के रिश्तों में प्रवेश करने के अधिकार को वो नहीं रोकेंगे सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्रपुरी महाराज ने किया है
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला ऐतिहासिक है क्योंकि सनातन धर्म में समलैंगिक विवाह उचित नहीं है मेल का विवाह फीमेल से किया जाता है ना कि मेल मेल का विवाह किया जाए इससे बच्चे कैसे पैदा होगे यह गलत परंपरा अगर चलने लग गई तो काफी नुकसान होगा और हमारी आने वाली जनरेशन समाप्त हो जाएगी सनातन परंपरा में इस विवाह को गलत माना जाता है हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिल से स्वागत करते हैं और आशा करते हैं देश की मोदी सरकार भी सनातन धर्म की रक्षा के लिए फैसला लेगी