पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्लांट्स टू पेशन्ट्स-एथनोफार्माकोलॉजी पर पुनर्विचार’ का आयोजन
हरिद्वार, 23 फरवरी। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद के अंतर को पाटने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय स्थित सभागार में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्लांट्स टू पेशन्ट्स-एथनोफार्माकोलॉजी पर पुनर्विचार’ का शुभारम्भ किया गया
जिसमें देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों के चिकित्सकों व वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि हमारी किसी भी अन्य पद्धति से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं से है। उन्होंने कहा कि हम योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, इण्डियन ट्रेडिशनल सिस्टम व सनातन जीवन पद्धति पर विश्वास करते हैं तथा इनको आत्मसात करके विभिन्न रोगों पर विजय प्राप्त करने वाले लगभग 5000 जीवंत उदाहरण हमेशा मेरे पास रहते हैं।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि एक मिथक चल रहा था कि बीपी, डायबिटीज, सोराइसिस, अर्थराइटिस आदि रोगों के लिए आपको आजीवन दवा खानी पड़ेगी, स्टेराइड लेने पड़ेंगे। हमने इतिहास में पहली बार इस मिथक को गलत साबित करके दिखाया है। हम रोगमुक्त बनाते हैं, दवामुक्त बनाते हैं और ऑपरेशन की 90 प्रतिशत संभावना को टाल सकते हैं, ये शक्ति है योग, आयुर्वेद व हमारे पूर्वजों के विज्ञान की। हम अभी फाइटोकैमिकल्स अर्थात् औषधियों के सूक्ष्म घटक पर काम कर रहे हैं। हमने औषधियों व वनस्पतियों के घनसत्वों पर शोध किया और जो पूरी दुनिया से नहीं हो पाया, विश्व स्वास्थ्य संगठन व माडर्न मैडिकल सिस्टम नहीं कर पाया, वह काम पतंजलि ने करके दिखाया है। आयुर्वेद के माध्यम से क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल करके एविडेंस बेस्ड मेडिसिन का दर्जा दिलाने का कार्य पतंजलि कर रहा है।
इस अवसर पतंजलि की इंटिग्रेटेड चिकित्सा पद्धति के द्वारा ब्लड कैंसर, सोराइसिस, अर्थराइटिस व फैटी लिवर, टाइप-1 डायबिटिज आदि विभिन्न रोगों को परास्त करने वाले रोगियों को जीवंत उदाहरण के तौर पर मंच पर प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि लगभग 8 देशों से हमारे सम्मानित वैज्ञानिकगण इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए पधारे हैं। उन्होंने कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन की बात की जाती है। हमने योग व आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन पर आधारित चिकित्सा विधा के रूप में स्थापित करने का बड़ा कार्य किया है। यह तीन दिन का आयोजन उसी परम्परा, उसी कार्य को विश्व के महान वैज्ञानिकों के सम्मुख रखने का और उनसे कुछ नया सीखने का अवसर है। यह कार्य किसी संस्था या किसी व्यक्ति का नहीं है, यह तो मानवता का कार्य है।
आचार्य जी ने कहा कि आज पूरे विश्व में योग की चर्चा होती है या उस चर्चा को वैश्विक बनाने का काम कहीं से होता है तो वह पतंजलि संस्थान है। श्रद्धेय स्वामी जी ने प्रत्यक्ष रूप से लगभग 10 करोड़ तथा परोक्ष रूप से 80 से 100 करोड़ की जनसंख्या को योग के साथ जोड़ा है। विश्व की लगभग 10 प्रतिशत आबादी पर स्वामी जी का प्रभाव है। आयुर्वेद की बात करें तो लगभग 1 करोड़ रोगियों का डॉटा इ.एम.आर. सिस्टम में हमारे पास उपलब्ध है। दुनिया के 70 प्रतिशत देश के रोगी पतंजलि में पहुँच चुके हैं। आबादी की दृष्टि से बात करें तो कोई छोटा-मोटा देश होगा जो पतंजलि की चिकित्सा सेवाओं से वंचित रहा होगा। उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम जो कर रहे हैं उसे हम और बेहतर कैसे कर सकते हैं, यह आप यहाँ से सीख सकते हैं।
कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान का परिचय दिया तथा यहाँ संचालित शोध गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ड्रग डिस्कवरी और डेवलपमेंट का साइकल किस प्रकार आयुर्वेदिक औषधियों में सफलता के साथ सम्पादित किया जा रहा है। पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की विभागाध्यक्षा डॉ. वेदप्रिया आर्या ने पतंजलि हर्बल अनुसंधान का परिचय दिया।
आइ.एस.ई. फाइटोमेडिसिन प्रोग्राम फैकल्टी ऑफ वेटेनिरनी मेडिसिन, प्रिटोरिआ, साउथ अफ्रिका के प्रो. जैकब्स निकोलस एलोफ़ ने ‘यौगिकों और अर्क के व्यावसायीकरण के लिए स्वदेशी ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बीच एक सहभागिता की आवश्यक’ विषय पर उद्बोधन दिया।
उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सुनील कुमार जोशी ने आयुर्वेद और रोग मुक्त समाज के लिए आयुर्वेद की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया। ढाका विश्वविद्यालय, बांग्लादेश के डिपार्टमेंट ऑफ फार्मेसी प्रो. सितेश सी. बचार ने ऑनलाइन माध्यम से ‘प्राकृतिक उत्पादों का संश्लेषणः औषधि विकास के लिए एक दृष्टिकोण’ विषय पर उद्बोधन दिया। पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. राजेश मिश्र ने ‘नेचर्स सिग्नेचर इन आयुर्वेद विद एन एथनोफार्माकोलॉजिकल अप्रोच’ विषय पर चर्चा की।
कॉलेज ऑफ चाइनीज मेडिसिन, चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी, ताइवान के डिपार्टमेंट ऑफ चाइनीज फार्मास्युटिकल्स साइंस एंड चाइनीज मेडिसिन रिसोर्सेज, प्रोफेसर ऑफ फार्माकोग्नॉसी प्रो. युआन श्युन चांग ने ‘क्वालिटी कन्ट्रोल ऑफ टीसीएम हर्ब्स एण्ड हर्बल प्रिपरेशन्स इन ताइवान’ विषय पर चर्चा की।
सम्मेलन में एनआईएमएस विश्वविद्यालय, जयपुर (राजस्थान) के निदेशक, सर्जिकल डिसिप्लिंस प्रोफेसर अनुराग श्रीवास्तव, सी.एस.आइ.आर.-इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन जम्मू के नेचुरल प्रोडक्ट्स एंड मेडिसिन केमिस्ट्री डिविजन के विभागाध्यक्ष व सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. संदीप बी. भराते, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की के डिपार्टमेंट ऑफ बायोसाइंस एंड बायोइंजीनियरिंग के प्रो. पार्थ रॉय तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान की सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. सविता लोचब ने भी अपने अनुसंधान साझा किए।
इससे पूर्व पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया। पतंजलि के अनुसंधान व सेवाओं पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी प्रदर्शित की गई। प्रथम दिन का समापन पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा संगीतमय योग प्रस्तुति के साथ हुआ।
कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति हलदर, डी.जी.एम. ऑपरेशन श्री प्रदीप नैन, डॉ. ऋषभदेव, डॉ. निखिल मिश्रा, डॉ. सीमा गुजराल, डॉ. ज्योतिष श्रीवास्तव, श्री देवेन्द्र कुमावत, श्री संदीप सिन्हा तथा डॉ. कुणाल भट्टाचार्य का विशेष सहयोग रहा।