स्वामी कैलाशानंद गिरी ने की गुरूकुल स्थापित करने की घोषणा
हरिद्वार, 27 जनवरी। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर एवं श्री दक्षिण काली मंदिर पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने गुरूकुल स्थापित करने की घोषण की है। स्वामी कैलाशानंद गिरी, अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी, कैबिनेट मंत्री कैलाश गहतोड़ी सहित कई प्रमुख संत गुरूकुल के संरक्षक होंगे। बसंत पंचमी पर श्री दक्षिण काली मंदिर में पत्रकारवार्ता के दौरान गुरूकुल स्थापना की घोषणा करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने बताया कि लुप्त हो रही गुरूकुल परंपरा की पुर्नस्थापना और संत परंपरांओं को मजबूती प्रदान करने के लिए कनखल स्थित आद्य शक्ति महाकाली आश्रम में स्थापित किए जा रहे गुरूकुल में छात्रों को वैदिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। जिसमें संस्कृत, व्याकरण, संगीत, योग आदि के साथ अंग्रेजी भाषा की शिक्षा भी दी जाएगी। गुरूकुल के छात्र, शिक्षक व प्रबंधन से जुड़े सभी लोग केवल संस्कृत भाषा में बात करेंगे। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने बताया कि गुरूकुल स्थापित करने की सभी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। गुरूकुल में सात से दस वर्ष तक के छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। मार्च और अप्रैल में प्रवेश प्रक्रिया संपन्न होगी। शुरूआत में दौ सौ छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गुरूकुल में छात्रों को शिक्षा के साथ आवास और भोजन की सुविधा निःशुल्क दी जाएगी। गुरूकुल के छात्र ही स्वयंसेवी के रूप में सभी व्यवस्थाएं संभालेंगे। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद, आचार्य पवनदत्त मिश्र, प्रमोद पांडे, अनुज दुबे आदि मौजूद रहे।
परिवार से संबंध नहीं रख सकेंगे निंरजनी अखाड़े के संत-स्वामी कैलाशानंद गिरी
आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि यह भी निर्णय लिया गया है कि निरंजनी अखाड़े का कोई भी संत घर परिवार से संबंध नहीं रख सकेगा। इस संबंध में जल्द ही अखाड़े के पंच परमेश्वर के माध्यम से सभी संतों को अवगत कराया जाएगा। धर्म की रक्षा करना आचार्य का प्रमुख काम है। धर्म रक्षा के लिए स्थापित की गयी अखाड़ा परंपरा को मजबूती प्रदान करने के लिए उन्होंने अखाड़े के आचार्य के तौर पर यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सामान्य सांसरिक जीवन त्याग कर सन्यास धारण करने के पश्चात किसी को भी घर परिवार से कोई संबंध नहीं रखना चाहिए। लेकिन कुछ संतों के परिवार से संबंध रखने की जानकारी सामने आने पर लिए गए निर्णय को जल्द ही पंच परमेश्वर के माध्यम से अखाड़े में लागू किया जाएगा। यदि कोई संत घर परिवार से संबंध रखेगा तो उसे अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाएगा।