• Sun. Jul 6th, 2025

Star uk news

अपना उत्तराखंड

आद्य जगद्गुरू रामानंदाचार्य जयंती के उपलक्ष्य में श्री वैष्णव मण्डल ने निकाली शोभायात्रा
भक्तिधारा के महान संत थे जगद्गुरू स्वामी रामानंदाचार्य-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

Bystaruknews

Jan 14, 2023

आद्य जगद्गुरू रामानंदाचार्य जयंती के उपलक्ष्य में श्री वैष्णव मण्डल ने निकाली शोभायात्रा
भक्तिधारा के महान संत थे जगद्गुरू स्वामी रामानंदाचार्य-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
हरिद्वार, 14 जनवरी। आद्य जगद्गुरू रामानंदाचार्य महाराज की 723वीं जयंती के उपलक्ष्य में श्री रामानन्दीय श्री वैष्णव मण्डल के संयोजन में भव्य शोभायात्रा निकाली गयी।

भूपतवाला स्थित श्री निम्बार्क धाम आश्रम से शुरू हुई शोभायात्रा का शुभारंभ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, श्री रामानन्दीय वैष्णव मण्डल के अध्यक्ष महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, महंत दुर्गादास, बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, महंत दामोदर दास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत प्रेमदास, सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह, नगर कोतवाली प्रभारी भावना कैंथोला ने पूजा अर्चना कर किया। बैण्ड बाजों व भव्य झांकियों से सुसज्जित शोभायात्रा का कई स्थानों पर संत समाज व आम लोगों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शोभायात्रा का समापन श्रवणनाथ नगर स्थित रामानन्द आश्रम पहुंचकर संपन्न हुई। यात्रा में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष सम्मिलित हुए।


आद्य जगद्गुरू रामानंदाचार्य जयंती की शुभकानाएं देते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्दपुरी महाराज ने कहा कि आद्य जगद्गुरू स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान संत थे। रामानंदाचार्य ने हिन्दू धर्म को संगठित और व्यवस्थित किया। उन्होंने वैष्णव संप्रदाय को पुनर्गठित किया तथा वैष्णव संतों को आत्मसम्मान दिलाया। संत कबीर और संत रविदास जैसे महान संत उनके शिष्य थे। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए सनातन धर्म संस्कृति के उत्थान में योगदान करना चाहिए।


श्री रामानन्दीय वैष्णव मण्डल के अध्यक्ष महंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि जगद्गुरू रामानंदाचार्य ने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया। पूरे भारत में भक्ति का प्रचार किया। तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों छुआछूत, ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया।
स्वामी परमात्मदेव व बाबा हठयोगी ने कहा कि जगद्गुरू स्वामी रामानंदाचार्य महाराज ने भक्ति और ग्रंथों के अध्ययन को सबके लिए सुलभ कराया। कबीर और संत रविदास के साथ-साथ अनंतानंद, भवानंद, पीपा, सेन, धन्ना, नाभा दास, नरहर्यानंद, सुखानंद, सुरसरि आदि भी उनके शिष्य थे। उन्होंने आपसी कटुता और वैमनस्य को दूर करने के लिए समाज को ‘जात-पात पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई‘ का संदेश दिया।
साधुबेला आश्रम के परमाध्यक्ष आचार्य महंत गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि जगद्गुरू रामानंदाचार्य ने भक्ति के प्रचार में संस्कृत की जगह लोकभाषा को प्राथमिकता दी और कई पुस्तकों की रचना की। उन्होंने मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम को आदर्श मानकर सरल रामभक्ति मार्ग का निदर्शन किया।
महंत रघुवीर दास महाराज व महंत बिहारी शरण महाराज ने कहा कि रामानंद संप्रदाय की स्थापना करने वाले जगद्गुरू रामानंदाचार्य ने कुरीतियों को दूर कर महिलाओं को सम्मान दिया। सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह व नगर कोतवाली प्रभारी भावना कैंथोला ने भी सभी को रामानंदाचार्य जयंती की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, महंत विष्णुदास, बाबा हठयोगी, महंत देवानंद सरस्वती, महंत दामोदर दास, महंत मुरारी शरण, महंत प्रेमदास, स्वामी ललितानंद गिरी, महंत अरूण दास, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत सत्यव्रतानंद, महंत युगल शरण, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत दुर्गादास, महंत रामानंद सरस्वती, महंत प्रहलाद दास, महंत सूरजदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत ज्ञानानंद, महंत प्रेमदास, महंत परमेश्वरदास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत गोविन्द दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत निर्मल दास, महंत दिनेश दास, महंत कपिल मुनि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष शामिल रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed

Sory