संदेह अज्ञान और भ्रम को हरने वाली है श्रीराम कथा-विजय कौशल महाराज
श्री राम कथा मर्मज्ञ संत विजय कौशल महाराज ने कहा है कि श्री राम की कथा संदेह अज्ञान और भ्रम को हरने वाली है और रामायण एक ऐसा विलक्षण ग्रंथ है, जो राम कथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है। जो व्यक्ति श्री राम के चरित्र का अध्ययन कर लेता है। उसका जीवन स्वयं ही सफल हो जाता है। कनखल स्थित हरेराम आश्रम में आयोजित श्री राम कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को श्री राम कथा का महत्व बताते हुए विजय कौशल महाराज ने कहा कि प्रभु श्री राम जन जन के आदर्श है और प्रत्येक भारतवासी के हृदय में विराजमान हंै। राम कथा में दर्शन के साथ साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है। जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में हमारा मार्गदर्शन करती है। संतान का माता-पिता के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ, गुरु का शिष्य के साथ, मित्र का मित्र के साथ और शासक का जनता के साथ एवं मानव का प्रकृति व पशु पक्षियों के साथ कैसा आचरण होना चाहिए। इन सभी आयामों पर श्री राम कथा में उपलब्ध आचार संहिता हमें जीवन के असल मार्ग पर ले जाती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। हरेराम आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि आतंक का पर्याय रावण सोने की लंका में रहता था, पर सबसे आशांत था और जंगल में रहकर भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के मन में शांति और भक्ति बसी थी। इसीलिए इतने कष्ट सहकर भी भगवान श्रीराम ने असत्य को हरा कर सत्य पर विजय प्राप्त की और समाज को समरसता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार संसार सर्वोत्तम नहीं है। संसार को बनाने वाले परमात्मा सर्वोत्तम हैं। इसलिए उनके श्री चरणों में ध्यान लगा कर उनके साथ कर्मों का अनुसरण करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। जगत को बनाने वाले परमात्मा का जो अनुसरण करता है। उसका जीवन धन्य हो जाता है और भगवान की कृपा अपने आप ही बरसती है। इस अवसर पर डा.जितेंद्र सिंह, विमल कुमार, प्रो.प्रेमचंद्र शास्त्री, नीलाम्बर खर्कवाल, रमेश उपाध्याय, रामचंद्र पाण्डेय, हरीश कुमार, डा.अश्वनी चैहान, मयंक गुप्ता, कोठारी स्वामी परमेश्वर मुनि, स्वामी रामसागर, साध्वी प्रभा मुनि, स्वामी संतोषानंद, भाजपा नेत्री अनिता शर्मा, भाजपा नेता ओमकार जैन, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महंत दामोदर दास, महंत गोविंद दास, महंत प्रेमदास, महंत दामोदर शरण दास, महंत श्रवण मुनि, महंत निर्मल दास, महंत जयेंद्र मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, महंत केशव मुनि आदि मौजूद रहे।