

सावन के दूसरे सोमवार भगवान शिव अभिषेक का विशेष महत्व है भगवान शिव ही सृष्टि के रचियता हैं-साध्वी. अनन्या सरस्वती एक माह मौन व्रत रखकर भगवान शिव का अभिषेक करती है
धर्मानगर हरिद्वार में परमार्थ आश्रम में स्थित शिव मंदिर में आयोजित साध्वी. अनन्या सरस्वती. एक महीने मौन व्रत रखकर पूरे एक महान भगवान शिव का अभिषेक करती है की शिव आराधना निरंतर जारी है। पूरे सावन चलने वाली शिव आराधना के दौरानसाध्वी. अनन्या सरस्वती विभिन्न प्रकार के पुष्पों से शिवलिंग का श्रंग्रार का गंगाजल और पंचामृत आदि द्रव्यों से भगवान शिव का अभिषेक करते हैंसाध्वी. अनन्या सरस्वती ने कहा कि भगवान शिव ही सृष्टि के रचियता हैं। शिव आराधना के प्रभाव से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। जिससे कल्याण और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। श्रद्धालु भक्तों को सावन में शिव आराधना के महत्व से अवगत कराते हुएसाध्वी. अनन्या सरस्वतीने कहा कि शिव आराधना कभी भी की जा सकती है। लेकिन सावन में शिव आराधना का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष के प्रभाव से संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। हलाहल विष के प्रभाव भगवान शिव का पूरा शरीर नीला हो गया और उन्हें बेहद पीड़ा होने लगी। भगवान को पीड़ा से व्याकुल देख सभी देवताओं ने उनका गंगाजल अभिषेक किया। जिससे उन्हें पीड़ा से राहत मिलीसाध्वी. अनन्या सरस्वती का कहना है कि सावन मास की भगवान शिव एक दिन एक मा अपनी ससुराल में आते हैं सावन का दूसरा सोमवार भी है आज के दिन जो भगवान शिव के दूध दही गंगा जल शायद जूस के साथ भगवान शिव का अभिषेक करता है पुण्य प्राप्ति होती है साथी परिवार में सुख शांति प्राप्ति होती