
योग गुरु बाबा रामदेव आचार्य बालकृष्ण ने खेली फूलों की होली

पतंजलि विश्वविद्यालय में आज होली का उत्सव मानया गया जिसमें पूज्य स्वामी रामदेव जी ने एवं श्रद्धेय आर्चाय बालकृष्ण जी ने पतंजलि शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राओं व बच्चों के साथ हर्षांे -उल्लास के साथ फूलों की होली खेली।

पूज्य स्वामी जी ने और श्रद्धेय आर्चाय जी ने बच्चों पर गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार कर इस पर्व को आनंदमयी बना दिया। होली के महोत्सव पर पूज्य स्वामी जी ने देशवासियो से आवाहन किया है कि वह जब होली का दहन करें तो अपने विकारों का भी दहन करें और साथ में सात्विकता को ध्यान में रखते हुए होली जैसे पावन पर्व को मनाये।
पूज्य स्वामी जी ने होली के उत्सव पर पतंजलि शिक्षण संस्थान में पड़ रहे दसवीं से बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं को उपहार स्वरुप देश के वह चुनिंदा गुरुजन देने का संकल्प किया है जो कोटा राजस्थान व दिल्ली जैसे बडे-बडे शिक्षण संस्थान में मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी करवाते है ऐसे गुरुजनों को पतंजलि निममित रुप से शिक्षा देने के लिए नियुक्त करेगा। जिससे बच्चों को यह लाभ होगा कि वह इन क्षेत्रांें की तैयारी के लिए मोटी रकम के साथ-साथ अपना समय भी बचा पाऐंगे। पतंजलि द्वारा उठाया यह कदम पतंजलि शिक्षण संस्थाओं को अन्य शिक्षण संस्थाओं से अग्रणिय बना देगा। पतंजलि शिक्षण संस्थान में यह प्रतिभामान गुरुजन फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बॉयोलॉजी और गणित की तैयारी बच्चों को करायेगें ताकि भविष्य में पतंजलि से हजारों छात्र-छात्राओं का चयन मेडिकल व इजीनियरिंग के क्षेत्र में हो सके।
श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी ने होली के पावन पर्व पर अपने संबोधन में कहा कि यह देश कृषि प्रधान देश है प्राचीन काल से आज तक हमें यही सिखाया गया है कि कृषि से ही जीवन को निर्वाहन किया जाता है प्रत्येक मनुष्य के लिए खेतों से ही अन्न उपजाकर उसका भरण-पोषण किया जाता है। आज के दिन किसान आधे पके अन्न को होलिका पर दहन करता है ताकि उसकी फसल सर्वश्रेष्ठ हो सके। किसानों के लिए यह पर्व उन्नति व सम्पन्नता का प्रतीक है। पूज्य आर्चाय जी ने होली में आने वाले विकारों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि पहले यह पर्व हर्षोंउल्लास का प्रतीक होता था लेकिन धीरे-धीरे यह पर्व हुड़दंग में बदलता जा रहा है। हमें यह पर्व शांति व प्रेम के साथ मनाना चाहिए।
होली के इस कार्यक्रम का शुभांरम्भ पतंजलि शिक्षण संस्थान के छात्र-छात्राओं ने वेदों के मंत्रोउच्चारणों के साथ किया और तद्उपरांत वासंती नव सस्योष्टी यज्ञ आहुतियों के साथ किसानों व देश की तरक्की के लिए कामना की। इस कार्यक्रम के समापन में छात्र-छात्राओं ने होली के मंगल गीतों को गाया और उसके उपरांत सभी बच्चों ने पूज्य स्वामी जी व पूज्य आर्चाय जी के साथ फूलों की होली को खेलकर आशिर्वाद ग्रहण किया उसके बाद सभी बच्चों ने आपस में एक-दूसरे को रंग लगाकर होली के त्यौहार को खुशी से मनाया। इस कार्यक्रम में श्री यशदेव शास्त्री जी, बहन रितम्भरा जी, डॉ साधवी देवप्रिया जी, पो. महावीर अग्रवाल जी, श्री वी.सी. पाण्डेय जी, श्री राकेश मित्तल जी, डॉ. जयदीप आर्य जी, बहन पारुल जी, उपस्थित र