श्री दक्षिण काली मंदिर में संतों और भक्तों ने धूमधाम से मनायी होली
बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति का संदेश देती है होली-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार, 15 मार्च। धर्मनगरी हरिद्वार में रंगों का महापर्व होली उल्लास के साथ मनायी गयी। होली के उल्लास से संत समाज भी अछूता नहीं रहा। निरंजन पीठाीध्श्वर आचार्य महामंडेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के संयोजन में नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में होली महापर्व धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम मे ंसंतों ने जमकर अबीर गुलाल उड़ाया और भक्तों को होली की बधाई और आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी, निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर एवं भारत माता मंदिर के महंत स्वामी ललितानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी राममुनि, महंत गोविंददास, महामंडलेश्वर स्वामी सहजानंद पुरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, स्वामी शिवम महंत, स्वामी अनंतानंद रामजी, महंत राघवेंद्र दास, स्वामी विपनानंद, स्वामी नागेंद्र महाराज, स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी आदि संतों ने भक्तों के साथ होली खेली। भक्तों को आशीर्वाद देते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मनाए जाने वाले विभिन्न पर्व पूरे विश्व को आकर्षित करते हैं। होली सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है। जो बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि भगवान नारायण के अनन्य भक्त प्रह्लाद को मारने के अनेक यत्न किए गए। लेकिन भगवान नारायण की कृपा से सभी यत्न विफल होने पर प्रह्लाद की बुआ होलिका उसे गोद में लेकर अग्नि में बैठ गयी। भगवान नारायण ने अपने भक्त की रक्षा की और होलिका अग्नि में जल गयी और प्रह्लाद सकुशल बच गए। प्रह्लाद के बच जाने पर लोगों ने रंग, गुलाल और अबीर उड़ाकर खुशीयां मनायी थी। तभी से प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा को होली मनाने की शुरूआत हुई। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी एवं महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी ने कहा कि आंतरिक चेतना को जागृत कर जीवन में उमंग व उल्लास का संचार करने वाला होली पर्व सांस्कृतिक व आध्यत्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। स्वामी रविदेव शास्त्री व स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि ने कहा कि रंगों, उमंगों और उल्लास का पर्व होली देश की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करता है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अंवतिकानंद ब्रह्मचारी ने सभी संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और होली की शुभकामनाएं दी।
श्री दक्षिण काली मंदिर में संतों और भक्तों ने धूमधाम से मनायी होलीबुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति का संदेश देती है होली-स्वामी कैलाशानंद गिरी
