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सनातन धर्म संस्कृति के ध्वजवाहक हैं संत महापुरूष-सतपाल ब्रह्मचारी

Bystaruknews

Sep 2, 2024

सनातन धर्म संस्कृति के ध्वजवाहक हैं संत महापुरूष-सतपाल ब्रह्मचारी
हरिद्वार, 2 सितम्बर। श्री बालाजी मंदिर घाटा मेहंदीपुर ट्रस्ट दौसा राजस्थान के पीठाधीश्वर डा.नरेशपुरी महाराज के संयोजन एवं अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के सानिध्य में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की कनखल स्थित छावनी कपिल वाटिका में संत समागम का आयोजन किया गया। संत समागम को संबोधित करते हुए सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि संत महापुरूष सनातन धर्म संस्कृति के ध्वजवाहक हैं। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र श्री बालाजी मंदिर के परमाध्यक्ष डा.नरेशपुरी महाराज मानव सेवा में अतुलनीय योगदान कर रहे हैं। सभी को डा.नरेशपुरी महाराज से प्रेरणा लेकर दीन दुखियों की सेवा के लिए आगे आना चाहिए। डा.नरेशपुरी महाराज ने कहा कि श्री बालाजी महाराज की कृपा और आशीर्वाद से ही वे समाज के जरूरतमंद वर्ग की सेवा में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड और धर्मनगरी हरिद्वार के संतों के श्रीमुख से प्रसारित होने वाले आध्यात्मिक संदेशों से पूरे विश्व को मार्गदर्शन प्राप्त होता है। संतों के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। इसलिए संतों के सानिध्य लाभ अवश्य उठाना चाहिए। बाबा हठयोगी ने कहा कि डा.नरेशपुरी महाराज के संयोजन में श्री बालाजी धाम में आयोजित किए जाने वाले धार्मिक क्रियाकलापों के फलस्वरूप भक्तों के कष्टों का निवारण हो रहा है। महंत गोविंददास महाराज ने कहा कि श्री बालाजी धाम सनातन धर्म का प्रमुख धर्म स्थल है। बालाजी धाम में दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। डा.नरेशपुरी महाराज के नेतृत्व में श्री बालाजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा भक्तों की सुविधा के लिए उच्चकोटि की व्यवस्था की गयी है। जिसके लिए डा.नरेशपुरी बधाई के पात्र हैं। महंत सूर्यमोहन गिरी, स्वामी कृष्णानंद गिरी, महंत देव गिरी एवं महंत सुभाष गिरी ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, दिगम्बर मनोज गिरी, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, महंत हरिदास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत गोविंददास, महंत राघवेंद्र दास, महंत प्रेमदास, महंत जयेंद्र मुनि, स्वामी कपिल मुनि, महंत सुतीक्षण मुनि, महंत शिवशंकर गिरी, महंत भगवत स्वरूप, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी कमलेशानंद, स्वामी दिनेश दास सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष मौजूद रहे।

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