हरिद्वार,31 दिसम्बर। 500 सालो से करोडो राम भक्तो को जिस दिन का इंतजार था वह 22 जनवरी को अयोध्या मे भगवान राम जन्मस्थल पर उनकी प्रनप्रतिष्ठा के साथ ही खत्म होने वाला है. 22 जनवरी को राम भगवान अपने घर मे विराजमान हो जायेंगे। वैसे तो यह दिन के लिए राम भक्तों के लिए ऐतिहासिक है मगर राम मंदिर आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे कुछ वरिष्ठ लोग ऐसे भी है जो राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा 22जनवरी को चुनिंदा लोगो को छोड़कर अन्य रामभक्तों के अयोध्या आने पर लगाए गये प्रतिबंधों को लेकर नाराज है। उत्तराखंड मे भाजपा के दर्जधारी राज्यमंत्री रहे और राम जन्मभूमि आंदोलन मे सक्रिय भागीदारी से लेकर जेल यात्रा तक करने वाले अशोक त्रिपाठी ने 22 जनवरी को अयोध्याq आने पर लगाए गये प्रतिबंधों को करोडो रामभक्तो की भावनाओं पर कुठाराघात बताया है.
कुछ ही दिनों बाद 22 जनवरी को अयोध्या मे रामजन्मभूमि मे भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी मगर भगवान राम के मंदिर निर्माण आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे अनेक लोग उस दिन भगवाण राम की प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी नहीं बन पाएंगे क्यूंकि 22 जनवरी को अयोध्या मे केवल वही लोग आ पाएंगे जिन्हे ट्रस्ट की और से निमंत्रण पत्र भेजे गये है बाकी अन्य लोगो को अयोध्या मे आने नहीं दिया जायेगा. इन प्रतिबंधों से राज्य के पूर्व दर्जधारी मंत्री, वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक त्रिपाठी बेहद खफा है. हालांकि वह राम मंदिर मे पीएम मोदी द्वारा भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को देश के लिए गौरव बताते हुऐ इन प्रतिबधो को करोडो रामभक्तो की आस्था और भावनाओं पर कुठाराघात बताते है।
उन्होंने पत्रकारों से बात कहा की ट्रस्ट को लोगो को आने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है. मंदिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बन रहा है और ट्रस्ट केवल मंदिर निर्माण तक के लिए है. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए ईस बात पर भी खेद जताया की मंदिर निर्माण के लिए देश की दिशा और दशा तय करने वाली लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को बिहार के समस्तीपुर मे रोक कर आडवाणी को गिरफ्तार करने वाले तत्कालीन डीम आर के सिंह आज केंद्र सरकार मे मंत्री है। उन्होंने कहा की यही नहीं कर सेवको पर गोली चलाने वाली तत्कालीन मुलायम सरकार मे सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा ही आज मंदिर निर्माण का काम देख रहे है.
अशोक त्रिपाठी ने ने एस बात पर पर भी रोष जताया की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मे ऐसे लोगो को निमंत्रण भेजा जा रहा है जिनका मंदिर निर्माण आंदोलन से दूर दूर तक नाता नहीं रहा। उन्होंने जूना पीठधीईश्वर अवधेशानंद और योग गुरूजी रामदेव जैसे लोगो को बुलाया जा रहा है जबकि इनका मंदिर निर्माण आंदोलन मे कोई योगदान नहीं रहा। जबकि मंदिर निर्माण आंदोलन के प्रमुख लोगो मे एक रहे स्वामी चिन्मयानंद जैसे को मंदिर ट्रस्ट पूछ तक नहीं रहे है।