विद्वान संत थे गोलोकवासी महंत हेमकांत शरण महाराज-श्रीमहंत रविंद्रपुरी
महंत अंकित शरण बने महंत बिहारी शरण के उत्तराधिकारी
हरिद्वार, 26 दिसम्बर। रानीपुर मोड़ स्थित श्री कृष्णा आश्रम में आश्रम के महंत बिहारी शरण महाराज के संयोजन में गोलोकवासी महंत हेमकांत शरण महाराज की 11वीं पुण्य तिथी श्रद्धापूर्वक मनायी गयी। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज की अध्यक्षता तथा सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में महंत बिहारी शरण महाराज ने महंत अंकित शरण को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल के अध्यक्ष महंत नारायण दास पटवारी व कार्यक्रम में शामिल हुए सभी संत महापुरूषों ने महंत अंकित शरण को तिलक चादर प्रदान कर उन्हें उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद दिया। उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि गोलोकवासी महंत हेमकांत शरण महाराज विद्वान संत थे। गोलोकवासी महंत हेमकांत शरण महाराज की आध्यात्मिक विरासत को उनके शिष्य महंत बिहारी शरण ने जिस प्रकार आगे बढ़ाया है। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। महंत अंकित शरण को शुभकामनाएं देते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संत समाज को पूरी आशा है कि महंत अंकित शरण अपने गुरूजनों की सेवा परंपरा को विस्तार देते हुए मानव कल्याण में योगदान करेंगे। महंत बिहारी शरण महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव गोलोकवासी महंत हेमकांत शरण महाराज का पूरा जीवन सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन को समर्पित रहा। संत समाज के आशीर्वाद से उन्होंने गुरू परंपरांओं का आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि आश्रम के उत्तराधिकारी नियुक्त किए गए महंत अंकित शरण भी सनातन धर्म संस्कृति के प्रति अपना योगदान देंगे। बाबा हठयोगी एवं श्री रामानंदीय वैष्णों मंडल के अध्यक्ष महंत नारायण दास पटवारी महाराज ने कहा कि योग्य गुरू को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। गुरू के प्रति विश्वास और श्रद्धा रखने वाले शिष्य ही प्रगति के पक्ष पर आगे बढ़ते हैं। महंत अंकित शरण संत परंपरा का पालन करते हुए सनातन धर्म संस्कृति उत्थान में योगदान करेंगे। महंत अंकित शरण ने कहा कि गुरूजनों से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सनातन धर्म का प्रचार प्रसार और मानव सेवा ही उनक जीवन का उद्देश्य है। मंच संचालन महंत रघुवीरदास महाराज ने किया। इस अवसर पर महंत सूरज दास, कोठारी महंत राघवेंद्र दास, महंत गोविंददास, महंत संतोषानंद, स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री, महंत विष्णुदास, महंत हरिदास, महंत दुर्गादास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत निर्मल दास, स्वामी दिनेश दास, महंत हितेश दास, महंत जानकी दास, महंत जयराम दास, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी अनन्तानंद, महंत दामोदर शरण, महंत गंगादास, महंत जानकीदास, श्रवण शंखधार, चंद्रशेखर यादव, डा.राजेंद्र पाराशर, लवदत्ता, अभिषेक शर्मा आदि मौजूद रहे।